RBI on Home & Car Loan: आरबीआई ने लोन से जुड़े नए गाइडलाइन किये जारी, टेन्योर और ईएमआई बदलने का भी होगा विकल्प

RBI on Home & Car Loan: कार, होम या अन्य कोई लोन आपने लिया है तो ये खबर आपके बहुत काम की है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFCs)को लोन रीसेट के दौरान कर्जदार ईएमआई में बढ़ोतरी, टेन्योर बदलने और फिक्स्ड रेट्स पर लोन चुनने का विकल्प पर नया गाइडलाइन जारी किया है.

By Madhuresh Narayan | August 25, 2023 12:34 PM
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RBI on Home & Car Loan: कार, होम या अन्य कोई लोन आपने लिया है तो ये खबर आपके बहुत काम की है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFCs)को लोन रीसेट के दौरान कर्जदार ईएमआई में बढ़ोतरी, टेन्योर बदलने और फिक्स्ड रेट्स पर लोन चुनने का विकल्प पर नया गाइडलाइन जारी किया है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से कहा है कि ब्याज दरें नए सिरे से तय करते समय वे कर्ज ले चुके ग्राहकों को ब्याज की निश्चित (फिक्स्ड) दर चुनने का विकल्प उपलब्ध कराएं. आरबीआई ने ब्याज दरें बढ़ने के बीच लोगों को कर्ज के जाल में फंसने से बचाने के लिए यह कदम उठाया है.

बैंक को ब्याज बढ़ाने पर लेना होगा सहमति

रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा मई, 2022 से बेंचमार्क ऋण दर (रेपो) में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू हुआ था. इससे ब्याज दरें बढ़ना शुरू हुई थीं. इससे ग्राहकों के कर्ज खातों पर नकारात्मक असर पड़ा था. मई, 2022 से केंद्रीय बैंक ने रेपो दर में ढाई प्रतिशत की वृद्धि की थी. इससे कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) ब्याज से कम हो गई थी, जिसके चलते मूल राशि में लगातार वृद्धि हुई थी. केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को जारी अधिसूचना में कहा कि ऐसा देखने में आया है कि ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज की अवधि या मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ा दी जाती है और ग्राहकों को इसके बारे में सही तरीके से सूचित नहीं किया जाता है और न ही उनकी सहमति ली जाती है. इस चिंता को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक ने अपने नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों को एक उचित नीतिगत ढांचा बनाने को कहा है.

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ग्राहकों को स्पष्ट बताना होगा बदलाव की स्थिति

रिजर्व बैंक ने कहा कि कर्ज की मंजूरी के समय बैंकों को अपने ग्राहकों को स्पष्ट तौर पर बताना चाहिए कि मानक ब्याज दर में बदलाव की स्थिति में ईएमआई या कर्ज की अवधि पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. ईएमआई या कर्ज की अवधि बढ़ने की सूचना उचित माध्यम से तत्काल ग्राहक को दी जानी चाहिए. केंद्रीय बैंक ने कहा कि ब्याज दरों को नए सिरे से तय करते समय बैंक ग्राहकों को निश्चित ब्याज दर को चुनने का विकल्प दें. इसके अलावा नीति के तहत ग्राहकों को यह भी बताया जाए कि उन्हें कर्ज की अवधि के दौरान इस विकल्प को चुनने का अवसर कितनी बार मिलेगा. साथ ही कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ईएमआई या ऋण की अवधि बढ़ाने या दोनों विकल्प दिए जाएं.अधिसूचना में कहा गया है कि ग्राहकों को समय से पहले पूरे या आंशिक रूप से कर्ज के भुगतान की अनुमति दी जाए. यह सुविधा उन्हें कर्ज के अवधि के दौरान किसी भी समय मिलनी चाहिए.

मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद लिया गया फैसला

आरबीआई ने पिछले सप्ताह पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में कर्ज लेने वाले लोगों को परिवर्तनशील (फ्लोटिंग) ब्याज दर से निश्चित ब्याज दर का विकल्प चुनने की अनुमति देने की बात कही थी. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि इसके लिए एक नया ढांचा तैयार किया जा रहा है. इसके तहत बैंकों को कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ऋण की अवधि तथा मासिक किस्त (ईएमआई) के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी. बता दें कि देश के शीर्ष बैंक के द्वारा अन्य बैंकों को ये गाइडलाइन इसी महीने 18 अगस्त को जारी किया गया था.

क्या कहता है आरबीआई

  • अगर किसी लोन अकाउंट पर पेनल्टी चार्ज की गई है, तो ये पीनल चार्ज के रूप में होनी चाहिए. इसे पीनल इंटरेस्ट के रूप में नहीं होना चाहिए, जो लोन के ब्याज में जाकर जुड़ जाता है.

  • बैंक और कर्जदाता संस्‍थाओं को ब्‍याज पर लगाए गए किसी भी अतिरिक्‍त कॉम्‍पोनेंट पेश करने की अनुमति नहीं है.

  • रेगुलर एंटिटीज को पीनल चार्ज या लोन पर समान शुल्क (चाहे उसे किसी भी नाम से जाना जाए) इस पर एक बोर्ड की मंजूर नीति तैयार करनी होगी.

  • पीनल चार्ज कितना लगाया जा रहा है, वह वाजिब होना चाहिए और लोन अकाउंट के नॉन-कंप्लायंस के अनुरूप होना चाहिए. बैंक किसी विशेष लोन/प्रोडक्ट कैटेगरी में भेदभाव नहीं कर सकते.

  • आरबीआई ने कहा है कि पर्सनल लोन के कर्जदारों पर लगाई गई पेनल्‍टी, नॉन-इंडिविजुअल कर्जदारों पर लगाई गई पेनल्‍टी से अधिक नहीं हो सकती.

  • पीनल चार्ज की मात्रा और उसको लगाने की वजह लोन एग्रीमेंट में बैंकों को ये साफ तौर पर ग्राहकों को बताना होगा. इसके अलावा, ब्याज दरों और सर्विस के तहत बैंकों की वेबसाइट पर भी दिखाया जाएगा.

  • नॉन-कंप्‍लायंस के संबंध में ग्राहकों को भेजे गए किसी भी रिमाइंडर में ‘पेनल्‍टी’ का उल्‍लेख करना जरूरी होगा.

  • ये निर्देश 1 जनवरी 2024 से लागू होंगे. बैंक अपने नीति ढांचे में जरूरी बदलाव कर सकते हैं और प्रभावी तिथि से लिए गए/रीन्यू किए गए सभी नए लोन के संबंध में निर्देशों को लागू कर सकते हैं.

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