RBI on MSME: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को बैंक ऋण देने कतरा रहे, आरबीआई ने पेश किया आंकड़े
RBI on MSME Loan: रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार, जून में मध्यम उद्योगों को दिए जाने वाले ऋण में 13.2 प्रतिशत (पिछले साल 47.8 प्रतिशत) और सूक्ष्म व लघु उद्योगों को दिए गए कर्ज में 13 प्रतिशत (एक साल पहले 29.2 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई.
RBI on MSME Loan: चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को बैंक ऋण वृद्धि में सालाना आधार पर गिरावट आई है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों में यह बात कही गई. एमएसएमई क्षेत्र से जुड़े लोगों ने कहा कि जोखिम से बचने की प्रवृत्ति के कारण बैंक छोटी इकाइयों को ऋण देने से बचना चाहते हैं, जिससे उन्हें ऋण देने की वृद्धि दर में गिरावट हुई है. रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार, जून में मध्यम उद्योगों को दिए जाने वाले ऋण में 13.2 प्रतिशत (पिछले साल 47.8 प्रतिशत) और सूक्ष्म व लघु उद्योगों को दिए गए कर्ज में 13 प्रतिशत (एक साल पहले 29.2 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई. जून के अंत में मध्यम उद्योगों का सकल बैंक ऋण बकाया 2,63,440 करोड़ रुपये था, जो पिछले साल जून में 2,32,776 करोड़ रुपये था.
आंकड़ों के अनुसार, सूक्ष्म व लघु उद्योगों के मामले में जून में बकाया ऋण 6,25,625 करोड़ रुपये रहा, जो 2022 की समान अवधि में 5,53,675 करोड़ रुपये था. मई में मध्यम उद्योगों को दिया गया ऋण 18.9 प्रतिशत (पिछले वर्ष समान अवधि में 42.9 प्रतिशत) और सूक्ष्म व लघु उद्योगों को दिया गया कर्ज 9.5 प्रतिशत (एक वर्ष पहले 32.7 प्रतिशत) बढ़ा. आरबीआई के अप्रैल के आंकड़ों के अनुसार, मध्यम उद्योगों की ऋण वृद्धि पिछले साल की समान अवधि के 53.7 प्रतिशत के मुकाबले 19.1 प्रतिशत रही। सूक्ष्म व लघु उद्योगों के मामले में वृद्धि अप्रैल 2023 में 9.7 प्रतिशत रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 29.8 प्रतिशत थी.
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देश के शीर्ष बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक का आयोजन किया जा रहा है. पहले संभावना जतायी जा रही थी कि आरबीआई के द्वारा बैंकों के रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव कर सकता है. मगर संभावना जतायी जा रही है कि बैंक प्रमुख ब्याज दर पर यथास्थिति बरकरार रख सकता है. विशेषज्ञों ने कहा कि आर्थिक वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए कर्ज लेने की लागत स्थिर बनी रहेगी. आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 8-10 अगस्त को होगी. गवर्नर शक्तिकांत दास नीतिगत निर्णय की घोषणा 10 अगस्त को करेंगे. आरबीआई ने ब्याज दर में बढ़ोतरी का सिलसिला पिछले साल मई में शुरू किया था, हालांकि फरवरी के बाद से रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है. इसके बाद अप्रैल और जून में दो द्विमासिक नीति समीक्षाओं में प्रधान उधारी दर में फेरबदल नहीं हुआ.
पंजाब एंड सिंध बैंक के प्रबंध निदेशक स्वरूप कुमार साहा ने कहा कि आरबीआई वैश्विक रुझानों सहित कई चीजों को ध्यान में रखता है. इसलिए, हाल में अमेरिकी फेडरल रिजर्व जैसे कई केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी को भी ध्यान में रखा जाएगा. साहा ने कहा कि समग्र स्थितियों को देखते हुए, मेरा अनुमान है कि आरबीआई रेपो रेट को मौजूदा स्तर पर बरकरार रखेगा. अगर वैश्विक हालात स्थिर रहते हैं तो ब्याज दर में अगली 2-3 तिमाहियों तक यथास्थिति रहने की संभावना है. एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रबंध निदेशक त्रिभुवन अधिकारी ने भी कहा कि केंद्रीय बैंक आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में यथास्थिति बनाए रखेगा. उन्होंने कहा कि निकट अवधि में ब्याज दर स्थिर रहने की संभावना है. सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत पर बनी रहे, जिसमें ऊपर या नीचे की ओर दो प्रतिशत तक विचलन हो सकता है.
यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पैन ने कहा कि टमाटर सहित सब्जियों की कीमतों में महंगाई के बावूजद दरों में बदलाव की संभावना नहीं है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई, हालांकि यह आरबीआई के सहनशील स्तर छह प्रतिशत से नीचे है. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सब्जियों की कीमतों में उछाल से जुलाई 2023 में सीपीआई या खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर जाने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि ऐसे में रेपो दर पर यथास्थिति बनी रहने के साथ एमपीसी की काफी तीखी टिप्पणी देखने को मिल सकती है.
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