भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के वित्तीय कारोबार में उतरने से कर्जदार के स्तर पर अत्यधिक कर्ज लेने और उसे न चुका पाने जैसी प्रणालीगत चिंताएं पैदा हो सकती हैं. गूगल, अमेजन और फेसबुक (मेटा) जैसी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के वित्तीय कारोबार में आने से प्रतिस्पर्धा और डेटा निजता को लेकर सवाल खड़े हो जाएंगे.
दास ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस द्वारा आयोजित मॉडर्न बीएफएसआई सम्मेलन 2022 में कहा, ‘‘उनके (बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां) साथ जोखिम जुड़े हैं, जिसका उचित तरीके से आकलन करना और जिससे निपटना जरूरी है.” उन्होंने कहा कि इस तरह की कंपनियों में शामिल हैं ई-वाणिज्य कंपनियां, सर्च इंजन और सोशल मीडिया मंच जिन्होंने अपने स्तर पर या साझेदारी के जरिए ‘‘बड़े स्तर पर” वित्तीय सेवाओं की पेशकश करना शुरू कर दिया है और इस तरह कर्ज आकलन के नए तौर-तरीकों का इस्तेमाल होने लगा है.
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘कर्ज आकलन में नए तौर-तरीकों का इस तरह से बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने से अत्यधिक कर्ज, अपर्याप्त कर्ज आकलन और कुछ इसी प्रकार के जोखिमों की प्रणालीगत चिंता पैदा हो सकती है.” दास ने कहा कि कर्ज वसूली एजेंटों द्वारा वक्त-बेवक्त फोन करना, खराब भाषा में बात करना सहित अन्य कठोर तरीकों का इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है और आरबीआई इस तरह की घटनाओं पर गंभीरता से ध्यान दे रही है ताकि इन पर रोक लगाने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा सके.
उन्होंने कहा कि इस तरह की ज्यादातर घटनाएं अनियमित प्रतिष्ठानों से जुड़ी होती हैं हालांकि केंद्रीय बैंक को पता चला है कि उसके द्वारा नियमित संस्थान भी ऐसा करते हैं. उन्होंने क्षेत्र के सभी संस्थानों से इस मुद्दे पर विशेष ध्यान देने को कहा. आरबीआई गवर्नर की ये टिप्पणियां इस मायने में महत्वपूर्ण हैं कि हाल में ऐसी खबरें आईं और आरोप लगे कि कई कर्जदारों ने एजेंटों के कठोर तौर-तरीकों के कारण आत्महत्या कर ली. उन्होंने कहा कि आरबीआई डिजिटल कर्ज प्रदान करने पर जल्द ही एक विमर्श पत्र लेकर आएगा.
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