RBI: अमेरिका के शिकॉगो बूथ में वित्त के प्रोफेसर और पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की नसीहत के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) महंगाई पर सख्त होता हुआ नजर आ रहा है. बुधवार 9 अक्टूबर 2024 को मौद्रिक नीति समिति की ओर से रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने के फैसले को जनता के सामने पेश करते हुए आरबीआई ने कहा कि महंगाई पर सख्ती से नकेल कसना होगा, अन्यथा देश की जनता महंगाई की मार से एक बार फिर त्राहिमाम करती नजर आएगी.
रघुराम राजन ने आरबीआई को दी थी महंगाई पर नसीहत
आरबीआई के पूर्व गवर्नर और शिकागो बूथ में वित्त के प्रोफेसर रघुराम राजन ने अक्टूबर 2024 की शुरुआत में ही महंगाई पर बड़ी चेतावनी देते हुए कहा था कि भारत के केंद्रीय बैंक को रेपो रेट तय करते समय खाद्य महंगाई को गणना से बाहर रखना चिंता का विषय है. खाद्य कीमतों को मुख्य महंगाई में शामिल नहीं किए जाने से आरबीआई पर से जनता का भरोसा उठ जाएगा. उन्होंने कहा था कि महंगाई एक ऐसे समूह को लक्षित करे, जिसमें उपभोक्ता के इस्तेमाल वाली चीजें शामिल हों. आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि जब मैं गवर्नर बना था, उस समय भी हम पीपीआई (उत्पादक मूल्य सूचकांक) को लक्षित कर रहे थे. लेकिन, इसका उपभोक्ताओं के दुख-दर्द से कोई लेना-देना नहीं होता है. उन्होंने कहा था कि ऐसे में आरबीआई जब कहता है कि महंगाई कम है, तो पीपीआई पर नजर डालें. अगर उपभोक्ता कुछ अलग तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तो वे वास्तव में यह नहीं मानते कि महंगाई कम हुई है.
रघुराम राजन की नसीहत के बाद चेता आरबीआई
रघुराम राजन की नसीहत के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद बुधवार को इस बात पर जोर दिया कि केंद्रीय बैंक को कीमतों की स्थिति पर कड़ी नजर रखनी होगी और महंगाई पर सख्ती से लगाम लगानी होगी, नहीं तो इसमें फिर से तेजी आ सकती है. गवर्नर ने यह भी कहा कि लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्य (एफआईटी) ढांचे को 2016 में लागू किए जाने के बाद से 8 साल पूरे हो गए हैं और यह भारत में 21वीं सदी का एक प्रमुख संरचनात्मक सुधार है.
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आरबीआई ने महंगाई अनुमान को 4.5% पर रखा कायम
केंद्रीय बैंक ने एफआईटी के तहत यह सुनिश्चित किया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई 2% घट-बढ़ के साथ 4% पर बनी रहे. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (पीपीआई) आधारित महंगाई के अपने अनुमान को 4.5% पर कायम रखा है. महंगाई दर के दूसरी तिमाही में 4.1%, तीसरी तिमाही में 4.8% और चौथी तिमाही में 4.2% रहने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए महंगाई के 4.3% रहने का अनुमान है. जोखिम समान रूप से संतुलित हैं.
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प्याज, आलू और चना दाल से फिर बढ़ेगी महंगाई
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि प्रतिकूल आधार प्रभाव तथा खाद्य पदार्थों कीमतों में तेजी से सितंबर में महंगाई दर में तेजी देखने को मिल सकती है. दूसरे कारकों के अलावा 2023-24 में प्याज, आलू और चना दाल के उत्पादन में कमी इसकी प्रमुख वजह होगी. हालांकि, अच्छी खरीफ फसल, अनाज के पर्याप्त भंडार और आगामी रबी मौसम में अच्छी फसल की संभावना से इस वर्ष की चौथी तिमाही में कुल महंगाई दर में क्रमिक रूप से नरमी आने का अनुमान है.
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