RBI का सख्त आदेश: पूरा लोन जमा करने पर भी नहीं मिला घर का कागज तो बैंक आपको देगी हर रोज पांच हजार जुर्माना

RBI New Rule: बैंक को शिकायत मिल रही थी कि ग्राहकों के द्वारा लोन को पूरा चुका देने या सेटल करने के बाद भी बैंकों व एनबीएफसी आदि के द्वारा प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट वापस लेने में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. देरी के चलते विवाद और मुकदमेबाजी जैसी स्थितियां पैदा हो रही है.

By Madhuresh Narayan | September 13, 2023 1:28 PM

RBI New Rule: प्रॉपर्टी को मार्गेज करके लोन लेने के मामले में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ग्राहकों के हक में एक बड़ा फैसला दिया है. शीर्ष बैंक ने आदेश किया है कि अगर ग्राहक लिया हुआ ऋण वापस चुका दिया है, तो प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट वापस देने में बैंक, एनबीएफसी या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां देरी करते हैं तो उन्हें ग्राहकों को हर्जाना देना पड़ेगा. यह ऑर्डर स्मॉल फाइनेंस बैंकों समेत सभी कमर्शियल बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों व एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियों को रिजर्व बैंक के द्वारा भेज दिया गया है. बताया जा रहा है कि बैंक को शिकायत मिल रही थी कि ग्राहकों के द्वारा लोन को पूरा चुका देने या सेटल करने के बाद भी बैंकों व एनबीएफसी आदि के द्वारा प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट वापस लेने में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. देरी के चलते विवाद और मुकदमेबाजी जैसी स्थितियां पैदा हो रही है.

क्या है प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट वापस करने के नियम

बैक, एनबीएफसी या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को रिजर्व बैंक के द्वारा भेजे गए आदेश में रिस्पॉन्सिबल लेंडिंग कंडक्ट यानी जिम्मेदार कर्ज व्यवहार की याद दिलाई है. फेयर प्रैक्टिस कोड के अनुसार, अगर ग्राहक प्रॉपर्टी लोन की सारी किस्तें चुका दें या लोन को सेटल करा लें तो ऐसी स्थिति में उन्हें तत्काल प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट मिल जाने चाहिए. हालांकि, बैंक को मिली शिकायत के अनुसार, ग्राहकों के साथ ऐसा नहीं हो रहा था. कई ग्राहकों का कहना था कि कर्ज चुकाने के बाद भी, उन्हें प्रॉपर्टी के पेपर के लिए वित्तीय संस्थान के चक्कर लगाने पड़ रहे थे. इसके साथ ही, अगर, कर्ज लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है तो मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी को स्पष्ट प्रक्रिया करके कागज लौटानी होगी. इसके साथ ही, इस प्रक्रिया की जानकारी अपनी वेबसाइट पर भी दिखानी होगी.

कितने दिनों में लौटाना होगा पेपर

रिजर्व बैंक ने अपने आदेश में कहा कि सभी रेगुलेटेड एंटिटीज को (कमर्शियल बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, एनबीएफसी व एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी आदि) लोन की सारी किस्तें मिलने या सेटल होने के एक महीने के अंदर ग्राहकों को सारे ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट लौटाने होंगे. कागज लौटाने में भी ऋण देने वाले वित्तीय संस्थान ये ऑप्शन देंगे कि ग्राहक अपनी सुविधा के अनुसार या तो संबंधित ब्रांच से डॉक्यूमेंट ले सकते हैं या फिर उस बांच या कार्यालय से ले सकते हैं, जहां डॉक्यूमेंट को फिलहाल रखा गया है. अगर तय समय में बैंक के द्वारा कागज ग्राहक को नहीं दिया जाता है तो उसके एवज में बैंक को हर्जाना देना पड़ेगा. आदेश के तहत बैंक सबसे पहले ग्राहक को देरी का कारण बताएगी और अगर, देरी का कारण बैंक या ऋण देने वाली वित्तीय संस्थान है तो प्रतिदिन पांच हजार के हिसाब से उसे हर्जाना देना होगा.

रिजर्व बैंक ने बैंकों के निवेश के वर्गीकरण, मूल्यांकन के लिए जारी किये संशोधित

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो के वर्गीकरण, मूल्यांकन और संचालन के लिये संशोधित मानदंड जारी किये. इन मानदंडों को वैश्विक मानकों और बेहतर गतिविधियों के अनुरूप बनाया गया है. संशोधित ‘भारतीय रिजर्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और संचालन) दिशानिर्देश, 2023’ एक अप्रैल, 2024 से सभी वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होंगे. इसमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शामिल नहीं हैं. संशोधित दिशानिर्देशों में निवेश पोर्टफोलियो का सिद्धांत-आधारित वर्गीकरण शामिल है. संशोधित मानदंडों के अनुसार, बैंकों को अपने संपूर्ण निवेश पोर्टफोलियो को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करना होगा. ये श्रेणियां हैं. हेल्ड टू मैच्योरिटी (परिपक्वता अवधि तक ऋण प्रतिभूतियों में निवेश-एचटीएम), बिक्री के लिये उपलब्ध (एएफएस) और लाभ और हानि के माध्यम से उचित मूल्य (एफवीटीपीएल). ‘हेल्ड टू मैच्योरिटी’ प्रतिभूतियां ऋण प्रतिभूतियों में निवेश है. इसके धारक के पास परिपक्वता तिथि तक इसे रखने का इरादा और क्षमता होती है.

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23 साल पहले के नियम पर आधारित है आदेश

ट्रेडिंग के लिये बॉन्ड या इक्विटी निवेश (एचएफटी) एफवीटीपीएल के तहत एक अलग निवेश उपश्रेणी होगी. निवेश की श्रेणी खरीद से पहले या खरीद समय के दौरान बैंक तय करेंगे. वर्तमान में बैंकों को निवेश पोर्टफोलियो के वर्गीकरण और मूल्यांकन पर नियामकीय दिशानिर्देशों का पालन करना जरूरी है. यह अक्टूबर, 2000 में जारी नियम पर आधारित है.

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