RBI Repo Rate: वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2025-26 का सालाना आम बजट पेश कर दिया है. इसमें सरकार ने मिडिल क्लास पर सौगातों की बौछार कर दी है. इसमें मिडिल क्लास को सबसे बड़ी राहत 12 लाख की सालाना आमदनी को टैक्स फ्री करके दिया है. संसद में बजट पेश होने के साथ ही अब इस बात की भी चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि सरकार ने मिडिल क्लास पर सौगातों की बौछार तो कर दी है, तो क्या अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) रेपो रेट में कटौती करके अपनी दरियादिली दिखाएगा? यह चर्चा इसलिए भी की जा रही है, क्योंकि रेपो रेट तय करने के लिए आरबीआई मौद्रिक नीति समिति की बैठक 5 से 7 फरवरी के बीच होना निर्धारित है.
क्या है रेपो रेट और इसमें कटौती क्यों है जरूरी
रेपो रेट वह ब्याज दर होती है, जिस पर आरबीआई कॉमर्शियल बैंकों को अल्पकालिक ऋण (शॉर्ट टर्म लोन) देता है. अगर आरबीआई इस दर को कम करता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है, जिससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की दरें भी घटती हैं. इससे मिडिल क्लास और बिजनेस कम्युनिटी को बड़ा फायदा होता है, क्योंकि ईएमआई का बोझ हल्का हो जाता है और बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है.
बजट के बाद रेपो रेट में कटौती की उम्मीद क्यों?
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 5 से 7 फरवरी 2025 के बीच होनी है. इस बैठक में रेपो रेट को लेकर निर्णय लिया जाएगा. विशेषज्ञों का मानना है कि बजट में मिडिल क्लास और बिजनेस सेक्टर को राहत देने के बाद अब आरबीआई भी अपने कदम बढ़ा सकता है. इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं. वह यह है कि हाल के महीनों में खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) में गिरावट दर्ज की गई है. यदि महंगाई नियंत्रण में रहती है, तो आरबीआई रेपो रेट में कटौती करने की संभावना पर विचार कर सकता है.
दूसरा कारण यह है कि आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देने के लिए सरकार ने बजट में पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) बढ़ाने पर जोर दिया है. यदि आरबीआई भी ब्याज दरों को कम करता है, तो इससे उद्योगों को सस्ती फंडिंग मिलेगी और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा. तीसरा कारण यह है कि अमेरिका, यूरोप और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भी ब्याज दरों को लेकर नरमी के संकेत मिल रहे हैं. अगर फेडरल रिजर्व और अन्य सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में कटौती करते हैं, तो आरबीआई भी इसी राह पर चल सकता है.
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
हालांकि, सभी विशेषज्ञ रेपो रेट में कटौती की उम्मीद नहीं कर रहे हैं. कुछ प्रमुख विश्लेषकों का मानना है कि आरबीआई अभी सतर्क रुख अपनाएगा और तत्काल कटौती करने के बजाय आगे की आर्थिक परिस्थितियों पर नजर रखेगा. एंजेल वन में आयनिक वेल्थ की मुख्य मैक्रो और ग्लोबल रणनीतिकार अंकिता पाठक का कहना है, “महंगाई में नरमी और आर्थिक विकास को गति देने के लिए आरबीआई को 25 बेसिस प्वाइंट (0.25%) की कटौती करनी चाहिए.” वहीं, एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट अजय बंसल कहते हैं, “अगर फरवरी की बैठक में कटौती नहीं हुई, तो अप्रैल की बैठक में 0.25% की कटौती की संभावना ज्यादा है.”
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रेपो रेट में कटौती होने पर किसे होगा फायदा?
अगर आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है, तो इसका सीधा फायदा आम जनता और कारोबारियों को मिलेगा. इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई घटेगी. मिडिल क्लास के लिए खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी. रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर में तेजी आएगी. व्यापारियों को सस्ती फंडिंग मिलेगी, जिससे बिजनेस एक्सपेंशन आसान होगा.
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