मुंबई : आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में बुधवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक शुरू हो गई है. गवर्नर शक्तिकांत दास शुक्रवार को नई रेपो रेट का ऐलान करेंगे. आरबीआई की ओर से प्रत्येक दो महीने के अंतराल पर नीतिगत ब्याज दरों को तय करने के लिए मौद्रिक नीति समिति की बैठक की जाती है. उम्मीद की जा रही है कि इस बार की बैठक में रिजर्व बैंक कर्ज को सस्ता करने पर विचार कर सकता है.
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर और महंगाई बढ़ने की आशंकाओं के बीच केंद्रीय बैंक की ओर से शुक्रवार को घोषित की जाने वाली द्वैमासिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर को वर्तमान स्तर पर ही बनाए रख सकता है. पिछली बार जून में हुई बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट को 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट को 3.35 फीसदी पर स्थिर बनाए रखा था. उससे पहले अप्रैल में हुई बैठक में भी यह स्थिर थी.
इस संदर्भ में डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक देखो और इंतजार करो की नीति अपना सकता है. मौद्रिक नीति में बदलाव की सीमित गुंजाइश है. कुछ औद्योगिक देशों में सुधार से आवश्यक वस्तुओं के ऊंचे दाम और वैश्विक स्तर पर कीमतों में बढ़ोतरी का उत्पादन की लागत पर असर पड़ सकता है.
गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर के चलते अप्रैल और मई के दौरान देश के कई हिस्सों में लगाई गई सख्त पाबंदियों से भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है. इसलिए यह बैठक बेहद अहम है. केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुआई वाली 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति नीतिगत दरों पर फैसला लेती है.
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