Real Estate: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में सपनों का घर खरीदने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक मांग वर्तमान से दो गुना ज्यादा बढ़ जाएगी. रियल एस्टेट क्षेत्र के निकाय नारेडको की महाराष्ट्र इकाई और प्रॉपर्टी कंसल्टेंट जेएलएल इंडिया ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी किया है. इसके द्वारा ‘अनलॉकिंग अपॉर्चुनिटीज विद इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट’ के नाम से एक रिपोर्ट जारी की गयी है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस वित्त वर्ष मुंबई में मकानों की बिक्री एक लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है. इसके साथ ही, आर्थिक राजधानी भारत के सबसे बड़े आवासीय बाजारों में से एक के रूप में अपनी स्थिति बनाए हुए है, जो देश में कुल आवासीय बिक्री मूल्य में 40 प्रतिशत का योगदान देता है.
2022 में बढ़ी मकानों की बिक्री
‘अनलॉकिंग अपॉर्चुनिटीज विद इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट’ रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुंबई में बिक्री मूल्य और बिक्री की मात्रा दोनों के मामले में 2018 के रिकॉर्ड को 2022 में पीछे छोड़ने के के साथ बिक्री में मजबूत सुधार देखा गया है. इसके साथ ही, इसके 2023 में बढ़ने की संभावना है. ये मांग 2030 तक एक लाख करोड़ से बढ़कर दो लाख करोड़ तक पहुंच जाने की संभावना है. रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल मुंबई में करीब 90,552 करोड़ रुपये के घर बिके थे. जबकि, इस वित्त वर्ष के पहले छहमाही में 50,075 करोड़ के घर की बिक्री हो गयी है. कोविड महामारी के दौर और इसके बाद भी मुंबई के रियल स्टेट में तेजी थी. वर्ष 2018 में 66,820 करोड़ रुपये के घर बिके, जबकि, कोविड-19 वैश्विक महामारी से पहले 2019 में 60,928 करोड़ रुपये के घर बिके.
सरकार की दूरदर्शी दृष्टिकोण से हुआ संभव
नारेडको महाराष्ट्र के अध्यक्ष एवं रुनवाल डेवलपर्स के प्रबंध निदेशक संदीप रुनवाल ने कहा कि महाराष्ट्र बुनियादी ढांचे के विकास के प्रति अपनी सरकार के दूरदर्शी दृष्टिकोण के चलते उल्लेखनीय परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. हमारे सामने असीमित अवसर हैं और राज्य की बेहतरी तथा रियल एस्टेट क्षेत्र की उन्नति के लिए उनका इस्तेमाल करना हमारी साझा जिम्मेदारी है.
मुंबई अधिक कीमत वाले घरों की मांग 49 प्रतिशत बढ़ी
रियल एस्टेट कंसल्टेंट Anarock ने बताया कि इस साल की पहली छमाही में भारत के सात बड़े शहरों में बेची गई 2.29 लाख यूनिट में से केवल 20 फीसदी या लगभग 46,650 अपार्टमेंट अफोर्डेबल हाउस थे, जिनकी कीमत 40 लाख रुपये से कम थी. एनारॉक रिसर्च डेटा से पता चलता है कि एक साल पहले की अवधि में बेचे गए 1.84 लाख घरों में से अफोर्डेबल हाउस की हिस्सेदारी 30 फीसदी या 57060 यूनिट थी. वहीं, मुंबई में 10 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले घरों की बिक्री चालू साल के पहले छह माह जनवरी-जून के दौरान 49 प्रतिशत बढ़ी है. यह आंकड़ा मूल्य के लिहाज से 11,400 करोड़ रुपये रहा.
10 करोड़ वाले घर की मांग बढ़ी
इंडिया सोथबीज इंटरनेशनल रियल्टी और सीआरई मैट्रिक्स की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. रिपोर्ट के अनुसार, एक साल पहले इसी अवधि में 10 करोड़ रुपये से महंगे मकानों की कुल बिक्री 7,660 करोड़ रुपये थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई में लक्जरी अपार्टमेंट की मांग मुख्य रूप से उद्योगपतियों, बॉलीवुड हस्तियों और उच्च वेतनभोगी कर्मचारियों की तरफ से आई. इंडिया सोथबीज इंटरनेशनल रियल्टी के प्रबंध निदेशक अमित गोयल ने कहा कि पहली छमाही में लक्जरी मकानों की बिक्री में आया उछाल उद्योग की दृष्टि से सकारात्मक है.
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कम मार्जिन से बिल्डरों की रुचि बदली
एनारॉक समूह के चेयरमैन अनुज पुरी बताते हैं कि किफालती मकानों की बिक्री पर बड़ा असर पड़ा है. हिस्सेदारी घटकर केवल 20 प्रतिशत रह गयी है. हालांकि, जमीन की लागत काफी बढ़ गयी है. जमीन के साथ अन्य सामानों की कीमतों में तेजी के कारण कम मार्जिन वाले मकान बनाने में बिल्डर रुचि नहीं ले रहे हैं. अच्छी होने के कारण मिड रेंज, प्रीमियम और लग्जरी आवास परियोजनाओं पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. इससे परियोजनाओं पर सीधे असर पड़ा है. वहीं, इससे किफायती मकानों की आपूर्ति भी सुस्त हुई है.
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