Red Sea Crisis: हूतियों के आतंक का भारतीय आयात पर असर, ढुलाई लागत 60% और बीमा प्रीमियम 20% बढ़ने की आशंका

Red Sea Crisis: रिपोर्ट के अनुसार, समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका के नेतृत्व में 20 से अधिक देश जिसमें फ्रांस, ब्रिटेन, ग्रीस, डेनमॉर्क आदि भी शामिल है, गठबंधन कर ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन नामक एक अंतरराष्ट्रीय अभियान शुरू किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 7, 2024 8:46 AM
an image

Red Sea Crisis: इजरायल हमास युद्ध की शुरूआत के बाद से हूतियों का आतंक लाल सागर में बढ़ता जा रहा है. इसके कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्ग सीधे रुप से प्रभावित हो रहा है. हाल में विद्रोहियों के द्वारा कुछ माल वाहक जहाजों को परेशान भी किया गया था. हालांकि, अब लाल सागर में हूतियों से रक्षा के लिए 20 देशों ने एक साथ कमर कस लिया है. रिपोर्ट के अनुसार, समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका के नेतृत्व में 20 से अधिक देश जिसमें फ्रांस, ब्रिटेन, ग्रीस, डेनमॉर्क आदि भी शामिल है, गठबंधन कर ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन नामक एक अंतरराष्ट्रीय अभियान शुरू किया. ये समुद्र में मालवाहक जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. इस बीच, खबर आ रही है कि लाल सागर में संकट बढ़ने से समुद्री व्यापार पर गहरा असर पड़ने की आशंका है. वैकल्पिक मार्ग से माल ढुलाई पर लागत 60 प्रतिशत तक और बीमा प्रीमियम 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने शनिवार को एक रिपोर्ट में कहा कि लाल सागर में संकट गहराने से माल ढुलाई में लगने वाले समय में 20 दिन की देरी और लागत में 40-60 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है. इससे बीमा प्रीमियम में 15-20 प्रतिशत बढ़ने के अलावा चोरी और हमलों से माल को नुकसान पहुंचने की आशंका भी है.

Also Read: अरब सागर में मालवाहक जहाज एमवी रुएन को अगवा करने की कोशिश, भारतीय नौसेना ने ऐसे की त्वरित कार्रवाई

आयात का समय बीस दिन तक बढ़ा

लाल सागर और भूमध्य सागर को हिंद महासागर से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य के आसपास की स्थिति यमन स्थित हूती आतंकवादियों के हमलों के कारण बिगड़ गई है. इन हमलों के कारण, जहाज रास्ता बदलकर ‘केप ऑफ गुड होप’ के माध्यम से आवाजाही कर रहे हैं. इससे लगभग 20 दिनों की देर हो रही है और माल ढुलाई एवं बीमा लागत भी बढ़ रही है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने रिपोर्ट में कहा कि हूती हमलों के कारण लाल सागर व्यापारिक मार्ग में व्यवधान आने से भारतीय व्यापार, खासकर पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप के साथ कारोबार पर काफी प्रभाव पड़ा है. इसके मुताबिक, भारत, कच्चे तेल और एलएनजी आयात और प्रमुख क्षेत्रों के साथ व्यापार के लिए बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य पर बहुत अधिक निर्भर है. ऐसे में इस क्षेत्र में कोई भी गतिरोध आने से भारी आर्थिक और सुरक्षा जोखिमों का सामना करना पड़ता है. जीटीआरआई का अनुमान है कि यूरोप और उत्तरी अफ्रीका के साथ भारत के समग्र उत्पाद व्यापार का लगभग 50 प्रतिशत आयात और 60 प्रतिशत निर्यात यानी कुल 113 अरब डॉलर का कारोबार इसी मार्ग से हुआ है.

केवल इजरायल से जुड़े देशों पर हमला: हूती

हूती विद्रोहियों ने एक बार फिर से साफ किया है कि अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड रूट पर वो केवल उन्ही जहाजों को निशाना बनाएगा जो इजरायल से जुड़े हुए हैं. दूसरे देशों के जहाजों को कोई खतरा नहीं है. हालांकि, उन्होंने कहा है कि जो भी देश अमेरिका के नेतृत्व में बने फोर्स का हिस्सा बनेगें वो हूती के निशाने पर होंगे. बीबीसी को दिये एक साक्षात्कार में यमन की सर्वोच्च हूती क्रांतिकारी समिति के प्रमुख मोहम्मद अली अल-हूती ने कहा है कि अमेरिका के नेतृत्व वाले लाल सागर गठबंधन में शामिल होने वाला कोई भी देश अपनी समुद्री सुरक्षा खो देगा और उसे निशाना बनाया जाएगा. उन्होंने साफ कहा कि वो ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, जर्मनी, इटली, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर और ब्रिटेन से जुड़े जहाजों को निशाना बना सकते हैं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Exit mobile version