16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Red Sea Crisis का जल्द निकलेगा हल, भारत की टेंशन होगी कम, यहां समझें कैसे मिलेगी राहत

Red Sea Crisis: लाल सागर में तनाव की स्थिति का समाधान जल्द हो सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में देश के निर्यात का 50 प्रतिशत और आयात का 30 प्रतिशत इस मार्ग से हुआ है. लाल सागर की परेशानी के कारण माल ढ़ुलाई का खर्च करीब 600 प्रतिशत बढ़ने की बात कही जा रही है.

Red Sea Crisis: लाल सागर की समस्या अब हल होती दिख रही है. एएफपी के अनुसार, हैती नेताओं ने समस्या के समाधान के लिए ब्रिटिश काउंसिल के पास दस्तक की है. इस समस्या के समझान से प्रभावित ग्लोबल सप्लाई चेन को राहत मिलने की संभावना है. दूसरी तरफ, लाल सागर में तनाव के कारण भारत में माल ढुलाई का खर्च 600 गुना तक बढ़ गया है. इसका सीधा असर, कच्चे तेल की कीमतों से लेकर कई जरूरी सामनों पर दिखने लगा. एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में देश के निर्यात का 50 प्रतिशत और आयात का 30 प्रतिशत इस मार्ग से हुआ है. क्रिसिल रेटिंग्स ने लाल सागर संकट के कारण देश में विभिन्न व्यापार खंडों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है. लाल सागर व्यापारिक मार्ग में संकट तब शुरू हुआ जब यमन स्थित हुती विद्रोहियों ने अक्टूबर, 2023 में शुरू हुए इजरायल-फलस्तीन युद्ध के कारण नवंबर में वहां से गुजरने वाले वाणिज्यिक माल ढुलाई जहाजों पर लगातार हमले किए. फिलहाल अमेरिकी और ब्रिटेन की सेना भी विद्रोहियों पर जवाबी हमले में लगी हुई है.

लाल सागर से कितने का होता है आयात-निर्यात

भारत की घरेलू कंपनियां यूरोप, उत्तरी अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के हिस्से के साथ व्यापार करने के लिए स्वेज नहर के माध्यम से लाल सागर मार्ग का उपयोग करती हैं. वित्त वर्ष 2022-23 में इस मार्ग से भारत ने 18 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया था. जो कुल निर्यात का करीब 50 प्रतिशत है. जबकि, इस क्षेत्र से भारत का 17 लाख करोड़ रुपये का आयात हुआ था जो कुल आयात का करीब 30 प्रतिशत है. भारत वर्तमान में 30 प्रतिशत डीएपी सऊदी अरब से, 60 प्रतिशत रॉक फॉस्फेट जॉर्डन एवं मिस्र से और 30 प्रतिशत फॉस्फोरिक एसिड जॉर्डन से आयात करता है. ये सभी रसायन इसी मार्ग से भारत के अलग-अलग बंदरगाहों पर आते हैं. नवंबर, 2023 से शंघाई उत्तरी यूरोप कंटेनर माल ढुलाई दरें 300 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 6,000-7,000 अमेरिकी डॉलर/टीईयू हो गई हैं.

Also Read: भारत के डिजिटल पेमेंट का बज रहा है डंका, 2028 तक Rs 531 ट्रिलियन का होगा पेमेंट

किन देशों में होता सबसे ज्यादा आयात-निर्यात

भारत ने साल 2022-23 में पूरे विश्व के अपने व्यापारिक भागीदारों से 770.18 अरब डॉलर का निर्यात और 892.18 अरब डॉलर का आयात किया है. जबकि, साल 2021-22 में देश में 760.06 अरब डॉलर का आयात हुआ था और 676.53 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था. संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, यूनाइटेड अरब अमीरात, सऊदी अरब, रूस, जर्मनी, हांगकांग, इंडोनेशिया, साउथ कोरिया और मलेशिया भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में शामिल हैं. इसमें भारत सबसे ज्यादा चीन से उत्पाद का आयात करता है.
(भाषा के साथ इनपुट)

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें