Red Sea Crisis: इजरायल और फिलिस्तीन की जंग का असर लाल सागर में होने वाले व्यापार पर पड़ने लगा है. सोमवार की सुबह 8 बजे WTI CRUDE की कीमतों में 0.38% की तेजी देखने को मिली. इसके बाद भाव 78.31 डॉलर पर पहुंच गया. वहीं, BRENT CRUDE OIL की कीमतों में 0.35 प्रतिशत का उछाल आया जिसके बाद कीमत 83.84 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. बताया जा रहा है कि ईरान समर्थित उग्रवादियों ने लाल सागर में एक टैंकर को निशाना बनाकर अलग-अलग हमले किया. सात ही, जॉर्डन में 3 अमेरिकी सैनिकों की हत्या कर दी है. इसका कारण तेल की कीमतों में आग लगने की संभावना है. इधर, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) के चेयरमैन पुष्प कुमार जोशी ने कहा कि लाल सागर में हुती विद्रोहियों द्वारा माल ढुलाई जहाजों पर किए जा रहे हमलों से भारत में कच्चे तेल की आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ा है. उन्होंने कहा कि हालांकि, रास्ता बदलकर अपेक्षाकृत लंबे ‘केप ऑफ गुड होप’ मार्ग अपनाने के कारण माल ढुलाई की लागत बढ़ गई है.
लाल सागर के रास्ते आता है रूस से तेल
तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक भारत में रूस से तेल की आपूर्ति लाल सागर मार्ग से होती है. पिछले साल भारत के कुल कच्चे तेल के आयात में रूसी आपूर्ति 35 प्रतिशत से अधिक थी, जो प्रति दिन 17 लाख बैरल थी. रूसी जहाज और मालवाहक फिलहाल हमलों का मुख्य लक्ष्य नहीं हैं. हालांकि, स्वेज नहर और लाल सागर के माध्यम से आवागमन के बजाय अफ्रीका के दक्षिणी सिरे के आसपास का मार्ग अपनाने से जहाजों को लंबी यात्राएं करनी पड़ रही हैं, जिससे जहाजों की कमी हो गई है और माल ढुलाई लागत में वृद्धि हो गई है. चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर, 2023) के नतीजे आने के बाद निवेशकों के साथ एक बातचीत में जोशी ने कहा कि एचपीसीएल ने अप्रैल के मध्य तक कच्चे तेल की आपूर्ति तय कर दी है और उसे आपूर्ति में कोई बाधा नहीं दिख रही है. उन्होंने कहा कि एचपीसीएल अपनी कच्चे तेल की 44-45 प्रतिशत जरूरतों को सऊदी अरब और इराक की राष्ट्रीय कंपनियों से किए गए करार के जरिए पूरा करती है.
600 प्रतिशत तक बढ़ सकता है खर्च
भारतीय निर्यातकों के संगठन फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने माल ढुलाई वृद्धि पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है और यह समस्या विभिन्न देशों में मुद्रास्फीति को बढ़ाने के अलावा वस्तुओं की वैश्विक मांग को नुकसान पहुंचाएगी. अजय सहाय ने कहा कि कुछ स्थानों पर माल ढुलाई दरें 600 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं. ऐसी स्थिति में हम वैश्विक ख्याति वाली भारतीय शिपिंग लाइन विकसित करने का अनुरोध करते हैं. फियो महानिदेशक ने कहा कि हमने 2021 में परिवहन सेवा शुल्क के रूप में 80 अरब डॉलर से अधिक का भुगतान किया था. देश का निर्यात एक लाख करोड़ डॉलर के लक्ष्य की तरफ बढ़ने के साथ हमारा ढुलाई भुगतान वर्ष 2030 तक 200 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा. अगर इसमें भारतीय शिपिंग लाइन की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी रहती है तो 50 अरब डॉलर की बचत हो सकती है.
(भाषा इनपुट के साथ)
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