Reliance नाम का इस्तेमाल कौन करेगा, इस पर लड़ाई बढ़ती जा रही है. मंगलवार को, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने पूछा कि अनिल धीरूभाई अंबानी वेंचर्स (एडीएवीएल) ने हिंदुजा समूह की (IIHL) की ओर से रिलायंस कैपिटल के मुद्दों से निपटने के दौरान ‘रिलायंस’ नाम का इस्तेमाल करने पर पहले आपत्ति क्यों नहीं जताई.अनिल अंबानी की कंपनी अनिल धीरूभाई अंबानी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड (ADAVPL) ने अनुरोध किया है कि IIHL ‘रिलायंस’ नाम का उपयोग बंद करें. यह तब हुआ है जब IIHL ने रिलायंस कैपिटल के लिए बोली जीती और उनकी समाधान योजना को हरी झंडी मिल गई. ADAVPL ने इस बारे में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में एक अस्थायी याचिका भी दायर की है.
ADAVPL ने किया दावा
अपनी याचिका में, ADAVPL ने दावा किया कि ब्रांड समझौता RCap को ब्रांड का कोई स्वामित्व नहीं देता है; यह उन्हें केवल इसका उपयोग करने की अनुमति देता है. उन्होंने यह भी बताया कि, इस व्यवस्था को देखते हुए, ब्रांड को दिवाला और दिवालियापन संहिता की धारा 18 के तहत RCap की संपत्ति के रूप में नहीं गिना जाता है.
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रिलायंस नाम पर जंग
इस मामले में ADAVPL ने IIHL से कहा है कि समाधान योजना लागू होने के तुरंत बाद वह ब्रांड का इस्तेमाल बंद कर दे. सूत्रों का कहना है कि रिलायंस ब्रांड का स्वामित्व मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी दोनों के पास है. 27 फरवरी, 2024 को NCLT ने रिलायंस कैपिटल (RCAP) की समस्याओं को सुलझाने के लिए IIHL की 9,650 करोड़ रुपये की योजना को हरी झंडी दे दी. ADAVPL ने ब्रांड को अंबानी परिवार से जोड़े रखने के लिए याचिका दायर की है. NCLT क्या फैसला करेगा, इस पर सभी की नजर है, अगली सुनवाई मंगलवार के लिए निर्धारित की गई है.
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