न्यू कॉमर्स की पटरी पर अब सरपट दौड़ेगी रिलायंस इंडस्ट्रीज की ग्रोथ ट्रेन, 52.5 लाख करोड़ रुपये का बाजार बनेगा इंजन

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी कुछ भी सोचते हैं, तो जमीनी स्तर पर बड़ा नहीं बहुत बड़ा सोचते हैं और खास यह कि वे जो करते हैं, उसमें पांत के आखिरी आदमी को किसी न किसी रूप में जरूर शामिल करते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 21, 2020 10:42 PM
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नयी दिल्ली : रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी कुछ भी सोचते हैं, तो जमीनी स्तर पर बड़ा नहीं बहुत बड़ा सोचते हैं और खास यह कि वे जो करते हैं, उसमें पांत के आखिरी आदमी को किसी न किसी रूप में जरूर शामिल करते हैं. कोरोना संकट की घड़ी में जब दुनियाभर की दिग्गज कंपनियां हांफ रही हैं, तब उन्होंने आम आदमी की चहेती कंपनी फेसबुक के साथ टाइअप कर लिया और जियो प्लेटफॉर्म्स की 9 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी उसे दे दी. अब जब उन्होंने फेसबुक से टाइअप किया, तो जियो प्लेटफॉर्म्स में हिस्सेदारी खरीदने वाली कंपनियों की एक तरह से लाइन लग गयी. अब उनकी सोच की दूसरी पहलू पर गौर कीजिए कि उन्होंने अभी 20 मई को रिलायंस इंडस्ट्रीज का 52 हजार करोड़ से अधिक का राइट्स इश्यू जारी किया है. इसमें परंपरागत निवेशक इश्यू तो खरीद ही सकते हैं, लेकिन देश का एक अदना निवेशक भी शेयर खरीद करके दो साल में पैसा चुकता कर सकता है. उनकी यह सोच आज की दुनिया का न्यू कॉमर्स है और इसी न्यू कॉमर्स की पटरी पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के विकास की गाड़ी अगले कई सालों तक सरपट दौड़ेगी और इस विकास की गाड़ी का इंजन बनेगा आरआईएल मेगा राइट्स इश्यू. अब आप कहिएगा कि कैसे? … तो आइए, जानते हैं फंड का फंडा…

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आइए, जानते हैं कि क्या मुकेश अंबानी का न्यू कॉमर्स : दरअसल, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने वर्ष 2018 की जुलाई में ‘न्यू कॉमर्स’ वेंचर की स्थापना की थी. उस समय उन्होंने कहा था कि इसमें भारत के खुदरा कारोबार को नयी परिभाषा देने की क्षमता है और यह अगले वर्षों में रिलायंस के लिए ग्रोथ का नया इंजन बन सकता है. इसके द्वारा रिलायंस डिजिटल और फिजिकल बाजार का एकीकरण करेगी और एमएसएमई, किसानों, किराना दुकानदारों के विशाल नेटवर्क का दोहन किया जाएगा. अमेरिका की दिग्गज कंपनी फेसबुक के साथ सौदा करके कंपनी व्हाट्सएप तक अपनी व्यापक पहुंच बनाएगी और उसका फायदा उठाते हुए अपने न्यू कॉमर्स की कारोबारी गाड़ी सरपट दौड़ाएगी.

सौदा एक, फायदा अनेक : मुकेश अंबानी ने अभी हाल ही में जिन चार वैश्विक कंपनियों के साथ सौदा किया है, उन सौदों से केवल रिलायंस इंडस्ट्रीज को फायदा हो रहा है, ऐसी बात नहीं है. इन सौदों से रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ-साथ उन चारों कंपनियों को भी फायदा है और देश के आम आदमी को भी. अब जैसे कि मान लीजिए, मुकेश अंबानी ने जियो प्लेटफॉर्म्स के लिए फेसबुक के साथ सौदा किया, तो निकट भविष्य में जियो में कई अन्य निवेशक निवेश करेंगे और इससे जो जियो प्लेटफॉर्म्स या फिर रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट वैल्यू बढ़ेगा, उससे जनरल अटलांटिक, सिल्वर लेकर और विस्टा को अच्छा फायदा मिलेगा. फेसबुक को भारत में रिलायंस के व्यापक नेटवर्क और संपर्क का फायदा मिलेगा और वह अपने कई प्रोजेक्ट के लिए नियामकीय सहयोग इस तरह से हासिल कर पाएगी.

आरआईएल के लिए केवल टेलीकॉम ऑपरेटर नहीं है जियो : रिलायंस इंडस्ट्रीज का जियो प्लेटफॉर्म्स या फिर जियो आम आदमी के लिए टेलीकॉम कंपनी की तरह भले ही नजर आती हो, जो फीचर फोन, स्मार्टफोन, डेटा, फाइबर केबल और ब्रॉड बैंड उपलब्ध कराती है, लेकिन चेयरमैन मुकेश अंबानी के लिए वह पूरी की पूरी डिजिटल कंपनी है. दरअसल, मुकेश अंबानी रिलायंस को अब एनर्जी फोकस वाली कंपनी बनाए रखने की जगह विविधता वाली कंपनी बनाने पर जोर दे रहे हैं. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने साल 2006 में खुदरा कारोबार और 2010 में टेलीकॉम कारोबार में प्रवेश किया था.

फ्यूचर के लिए क्या सपने बुन रहे हैं मुकेश अंबानी : दरअसल, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने टेक्नोलॉजी वाली कंपनियों में अपना भविष्य देख लिया है. इसीलिए उन्होंने छोटे स्तर पर देश की दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों को टक्कर देने के लिए 5 सितंबर 2016 को रिलायंस जियो को लॉन्च किया था. किश्तों में 4जी डेटा के साथ स्मार्टफोन और इसके लिए सैमसंग वगैरह दुनिया की नामी-गिरामी कंपनियों से टाइअप. यह सब उनकी एक महज शुरुआत थी. धीरे-धीरे बीते चार सालों में वही रिलायंस जियो इस मुकाम पर पहुंच गयी कि आज वह दुनिया की नंबर वन कंपनियों के हाथों अपनी हिस्सेदारी बेच रही है. रिलायंस के सीएफओ आलोक अग्रवाल ने कभी कहा था कि दुनिया में 3 बड़ी टेक कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 1 ट्रिलियन डॉलर है, जबकि दुनियाभर की सारी एनर्जी कंपनियों का कुल मार्केट कैप मिलाकर भी 600 अरब डॉलर के पार नहीं हो पाया है. इसलिए निवेशक अब अमेजन, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक-कंज्यूमर कंपनियों में निवेश करना पसंद कर रहे हैं. जियो प्लेटफॉर्म्स भी इसी दिशा में बढ़ रही है. हालांकि, अभी उसे काफी लंबी यात्रा करनी है.

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