Reliance Industries Employees: रिलायंस इंडस्ट्रीज बाजार की सबसे तेजी से बढ़ती कंपनियों में शामिल है. खास कर कम्युनिकेशन मोबाइल के क्षेत्र में कंपनी लगातार सफलता के झंडे गाड़ रही है. हाल ही में, कंपनी ने फाइनेंसियल सर्विस में कदम रखा है. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने डीमर्जर के बाद रिलायंस स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड कंपनी बनाया है. कंपनी बनने के कुछ दिनों के बाद ही, उसने अमेरिकी कंपनी ब्लैकरॉक के साथ साझेदारी की. मगर, अब रिलायंस के खेमें से एक बड़ी बात निकल कर सामने आ रही है. बताआ जा रहा है कि वित्त वर्ष 2023 में रिलायंस इंडस्ट्रीज के कुल 1,67,391 कर्मचारियों ने स्वैच्छिक रूप से कंपनी की नौकरी छोड़ दी. इसमें 41,818 कर्मचारी रिलायंस जियो के हैं और 1,19,229 रिलायंस रिटेल नेटवर्क में काम कर रहे थे. बता दें कि ये बातें रिलायंस इंडस्ट्रीज की सालाना रिपोर्ट में सामने आयी है.
कंपनी ने 70 से ज्यादा लोगों को दी नौकरी
रिलायंस इंडस्ट्रीज की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, जहां एक तरफ बड़ी संख्या में लोगों ने कंपनी का साथ छोड़ा, वहीं, पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी ने बड़ी संख्या में लोगों की बहाली भी की. रिलायंस जियो ने 70,418 लोगों को नौकरी पर रखा. इस टेलीकॉम ऑपरेटर में 95326 कर्मचारी काम करते हैं जो कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक सामने आया है. रिलायंस इंडस्ट्रीज की सालाना रिपोर्ट में ये बात भी सामने आयी है कि कंपनी ने वर्क और पर्सनल लाइफ से जुड़ी हुई कुल 1,43,439,839 घंटों की ट्रेनिंग अपने कर्मचारियों को दी है. हालांकि, कंपनी के लिए चिंता की बात है कि वित्त वर्ष 2023 में कंपनी से जाने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है. वित्त वर्ष 2022 की तुलना में इस बार कंपनी छोड़ने वाले कर्मचारियों की संख्या 64.8 फीसदी बढ़ी है.
रिटेल और टेलीकॉम सेक्टर में बढ़ती नौकरी का मिल रहा फायदा
समझा जा रहा है कि रिलायंस से जाने वाले कर्मचारी देश में रिटेल और टेलीकॉम सेक्टर में बढ़ती हायरिंग का फायदा लेने के लिए कंपनी का साथ छोड़ रहे हैं. हालांकि, ऐसी आशंका है कि रिटेल और टेलीकॉम सेगमेंट में अपना रोल बदलने से नाखुश कर्मचारियों ने भी कंपनी को बाय-बाय कहा होगा. कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया कि रिलायंस ने पूरे साल में अपने कर्मचारियों के बेहतर मानसिक और शारीरिक स्थिति के लिए कंपनी ने अच्छी ट्रेनिंग की व्यवस्था की. इन ट्रेनिंग से कंपनी के कर्मचारियों ने न केवल अपने काम को दक्षता के साथ किया, बल्कि, मानसिक तौर पर भी कंपनी के कामकाजी माहौल में ढलने के लिए उत्सुक हुए.
रिलायंस रिटेल ने बीते वित्त वर्ष में एक अरब लेनदेन का आंकड़ा किया पार
रिलायंस रिटेल ने वित्त वर्ष 2022-23 में एक अरब लेनदेन का आंकड़ा पार कर लिया. रिलायंस इंडस्ट्रीज की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. वित्त वर्ष 2022-23 में रिलायंस रिटेल के डिजिटल कॉमर्स व नए कॉमर्स व्यवसायों ने इसके 2.60 लाख करोड़ रुपये के राजस्व में 18 प्रतिशत का योगदान दिया. कंपनी ने समीक्षाधीन अवधि में 3,300 नई दकुानें खोलीं। अब उसकी कुल 18,040 दुकानें हैं. रिलायंस इंडस्ट्रीज की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार कि वित्त वर्ष 2022-23 में कारोबार सालाना आधार पर 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ एक अरब के लेनदेन के आंकड़े को पार कर गया. दुकानों में 78 करोड़ से अधिक ग्राहक आए, जो सालाना आधार पर 50 प्रतिशत अधिक है.
70 वर्ष की उम्र तक बिना सैलरी काम करेंगे मुकेश अंबानी
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) 66 साल के उम्र में भी कंपनी का चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (CMD) नियुक्त करने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मांगी है. बड़ी बात ये है कि उन्होंने अगले पांच वर्षों तक कंपनी में बिना वेतन के काम करने प्रस्ताव दिया है. इससे पहले वो तीन वर्ष से कंपनी में बिना वेतन के काम कर रहे हैं. इस नए कार्यकाल के दौरान अंबानी मुख्य कार्यकारी के पद के लिए कंपनी कानून के तहत जरूरी 70 साल की आयुसीमा को पार कर जाएंगे और आगे नियुक्ति के लिए उन्हें शेयरधारकों के विशेष प्रस्ताव की जरूरत है. विशेष प्रस्ताव में रिलायंस ने अंबानी को अप्रैल, 2029 तक कंपनी का चेयरमैन नियुक्त करने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मांगी है.
धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद बने कंपनी के चेयरमैन
अंबानी रिलायंस के निदेशक मंडल में 1977 से हैं और जुलाई, 2002 में अपने पिता और समूह के संस्थापक धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद कंपनी के चेयरमैन बन गए थे. शेयरधारकों को भेजे गए विशेष प्रस्ताव में रिलायंस ने कहा कि उसके निदेशक मंडल ने 21 जुलाई, 2023 को मुकेश अंबानी को प्रबंध निदेशक के तौर पर आगे पांच साल के लिए नियुक्ति करने को मंजूरी दे दी है. प्रस्ताव में कहा गया कि अंबानी ने वित्त वर्ष 2008-09 से वित्त वर्ष 2019-20 तक अपना वार्षिक पारिश्रमिक 15 करोड़ रुपये तय किया था. इसके बाद वित्त वर्ष 2020-21 के बाद से उन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण अपना वेतन छोड़ने का विकल्प चुना. वित्त वर्ष 2020-21 से लगातार तीन वर्षों तक उन्हें कोई वेतन और लाभ-आधारित कमीशन का भुगतान नहीं किया गया है. प्रस्ताव में कहा गया कि अंबानी के अनुरोध पर बोर्ड ने सिफारिश की है कि 19 अप्रैल, 2024 से 18 अप्रैल, 2029 तक प्रस्तावित अवधि के लिए उन्हें कोई वेतन या लाभ-आधारित कमीशन का भुगतान नहीं किया जाएगा.
खुदरा, दूरसंचार के बाद रिलायंस की नजरें वित्तीय सेवाओं, नए ऊर्जा कारोबार पर
सबसे कम समय में भारत का सबसे बड़ा खुदरा विक्रेता व दूरसंचार संचालक बनाने के बाद अरबपति मुकेश अंबानी की निगाहें अब अपनी वित्तीय सेवा कंपनी जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (जेएफएसएल) के जरिए देश के सबसे बड़े गैर-बैंकिंग ऋणदाता के रूप में आगे बढ़ाने पर है. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की हालिया वार्षिक रिपोर्ट में अंबानी ने कहा कि जियो फाइनेंशियल सर्विसेज (जेएफएस) लिमिटेड, डिजिटल और खुदरा कारोबारों के कौशल का लाभ उठाया जाएगा. उन्होंने कहा कि कंपनी कि रिलायंस की तकनीकी क्षमताओं का लाभ उठाएगी. अंबानी ने कहा कि डिजिटल रूप से वित्तीय सेवाएं प्रदान करने वाली इकाई भारतीय नागरिकों की वित्तीय सेवाओं तक पहुंच कायम करेगी. इसके जल्द ही सूचीबद्ध होने की उम्मीद है. रिलायंस की 28 अगस्त को वार्षिक शेयरधारकों की बैठक में इस पर मार्गदर्शन मिल सकता है. जेएफएस की रिलायंस में 6.1 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कंपनी ने संयुक्त उद्यम स्थापित करने के लिए ब्लैकरॉक के साथ पिछले महीने साझेदारी की घोषणा की थी.