स्पेक्ट्रम की बिक्री के सवाल पर दो मंत्रालयों के बीच उभरे मतभेदों के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केन्द्र को इस सवाल पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिये कहा था कि रिलायंस कम्युनिकेशंस का स्पेक्ट्रम साझा करके राजस्व अर्जित करने वाली रिलायंस जियो को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) से संबंधित सरकार की बकाया राशि का भुगतान करने के लिये क्यों नहीं कहा जाये. AGR मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार, रिलायंस जियो और रिलायंस कम्यूनिकेशंस के रिजोल्यूशन प्रोफेशनल्स से सभी जरूरी दस्तावेज मांगे हैं, जिससे ये पता चल सके कि रिलायंस कम्यूनिकेशंस के AGR का भुगतान कौन करेगा.
वहीं पिछली सुनवाई के दोरान जियो की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा था कि उनकी कंपनी दिवाला और ऋण अक्षमता संहिता के तहत किसी भी कार्यवाही में शामिल नहीं है और वह आरकॉम के स्पेक्ट्रम का अधिग्रहण भी नहीं कर रही है. मेहता ने कहा कि स्पेक्ट्रम साझा करना कारोबार करने से भिन्न है और इसका इस्तेमाल करने वाले को एजीआर से संबंधित बकाया राशि का भुगतान करना चाहिए.
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पीठ ने कहा कि इस मामले में आज अन्य पक्षकारों की दलीलें सुनी जायेंगी. न्यायालय ने 14 अगस्त को रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस जियो के बीच स्पेक्ट्रम साझा करने के लिये हुये समझौते का विवरण मांगा था और यह जानना चाहा था कि दूसरी कंपनी के स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करने वाली कंपनी से सरकार समायोजित सकल राजस्व से संबंधित बकाया राशि की मांग क्यों नहीं कर सकती है. शीर्ष अदालत ने रिलायंस जियो और आरकॉम के वकीलों से कहा कि स्पेक्ट्रम साझा करने के समझौते का विवरण पेश करने का भी निर्देश दिया था. पीठ ने दूरसंचार विभाग को भी इस संबंध में आवश्यक दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया था.
पीठ ने कहा कि वह जानना चाहती है कि आरकॉम ने कब से अपनी बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है और दूरसंचार विभाग को कंपनी से इसके भुगतान के लिये की गयी मांग का वर्षवार विवरण देना चाहिए. पीठ ने दिवाला और ऋण अक्षमता संहिता के तहत आरकॉम के लिये कर्जदाताओं की समिति द्वारा मंजूर समाधान योजना का विवरण भी मांगा है.
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