Repo Rate: बढ़ती महंगाई से परेशान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा कर दिया है. इससे रेपो रेट 4.90 फीसदी से बढ़कर 5.40 फीसदी हो गया है. इसका सीधा अर्थ है होम लोन से लेकर ऑटो और पर्सनल लोन सब कुछ महंगा हो गए हैं. यहां तक की अब EMI भी ज्यादा चुकानी होगी. जानिए रेपो रेट बढ़ोतरी को लेकर क्या है पर्सनल फाइनेंस के एक्सपर्ट जितेंद्र सोलंकी के विचार…
रेपो रेट बढ़ने से लोन महंगे हो जाएंगे, ईएमआई पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा.
रेपो रेट बढ़ने से लोन की ईएमआई बढ़ने की पूरी संभावना है. इससे पहले भी जब बैंकों ने रेपो रेट में इजाफा किया था तो लोन की ईएमआई भी बढ़ी थी. उन्होंने कहा कि जितनी बार भी रेपो रेट में इजाफा किया जाएगा लोन की ईएमआई में भी इजाफा होगा
क्या पहले से चल रहे लोन पर भी बढ़ेगी ईएमआई. या इसका असर सिर्फ नये लोन में ही देखने को मिलेगा.
अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ा रहा है तो जितनी भी लोन चलती है चाहे हो पुरानी लोन हो या फिर नई लोन उसमें बदलाव होता ही है. एक्सपर्ट जितेन्द्र सोलंकी ने बताया कि इसका असर नये लोन लेने वाले और जो पहले से लोन लिए हुए है उन पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर आप कोई लोन ले रहे हैं और उसपर आप इंट्रेस्ट भर रहे हैं तो बढ़ जाएगा जिससे ईएमआई में भी इजाफा होगा.
क्या है रेपो रेट यह कैसे काम करता है
बैंक अपने पैसों की आपूर्ति के लिए आरबीआई पर निर्भर करता है. इसका मतलब जरूरत पड़ने पर कमर्शियल बैंक रिजर्व बैंक से लोन लेते हैं. इसके बढ़ने रिजर्व बैंक अन्य बैंकों से इंटरेस्ट चार्ज करता है. अब जब भी बाजार में लिक्विडिटी बढ़ जाती है तो रिजर्व बैंक ब्याज दर बढ़ा देता है. और इसके विपरीत जब लिक्विडिटी घट जाती है तो आरबीआई इंटरेस्ट रेट घटा देता है. ऐसे में कह सकते हैं कि रेपो एक तरह से बैंकों और आरबीआई के बीच पैसों की लेन देन है.
RBI रेपो रेट क्यों बढ़ाता या घटाता है?
आर्थिक विकास के लिए आरबीआई कई तरह से फैसले लेता है. इसके अलावा आरबीआई का मुख्य फोकस महंगाई दर को कम करना है. इसके लिए आरबीआई बैंकों की लिक्विडिटी को मेंटेन रखता है. अगर लिक्विडिटी अधिक हो गई है तो आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है. वहीं, लिक्विडिटी कम होने पर आरबीआई रेपो रेट में कमी कर देता है.
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