Repo Rate: मिडिल क्लास को राहत? RBI 7 फरवरी को कर सकता है रेपो दर में कटौती
Repo Rate: बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में 7 फरवरी को रेपो दर में 25 आधार अंकों (bps) की कटौती कर सकता है.
Repo Rate: बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में 7 फरवरी को रेपो दर में 25 आधार अंकों (bps) की कटौती कर सकता है. रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि मुद्रास्फीति में नरमी के चलते RBI इस फैसले पर विचार कर सकता है.
मुद्रास्फीति के दबाव में कमी
रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल के महीनों में मुद्रास्फीति के स्तर में गिरावट देखी गई है. टमाटर, प्याज और आलू जैसी आवश्यक सब्जियों की कीमतों में कमी के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में स्थिरता आई है. बेहतर आपूर्ति के चलते मूल्य अस्थिरता कम हुई है, जिससे RBI को ब्याज दरों में कटौती करने का अवसर मिल सकता है. हालांकि, यह प्रक्रिया चरणबद्ध होगी और आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करेगी.
वैश्विक और घरेलू कारकों का प्रभाव
मौद्रिक नीति पर निर्णय लेते समय RBI को कई वैश्विक और घरेलू चुनौतियों को ध्यान में रखना होगा. रिपोर्ट के अनुसार, हाल के दिनों में वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है, जिससे भारतीय रुपया प्रभावित हुआ है. अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको और चीन जैसे देशों की व्यापार नीतियों और संभावित टैरिफ वृद्धि के कारण वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है. अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से भारतीय मुद्रा पर दबाव पड़ा है.
घरेलू बैंकिंग और आर्थिक स्थिति
घरेलू तरलता की स्थिति भी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है. बैंकों को धीमी जमा वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है, जिससे ऋण प्रवाह प्रभावित हुआ है. वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही के कॉर्पोरेट परिणाम बताते हैं कि बाजार में मांग स्थिर नहीं है, जिससे कंपनियों की बिक्री पर असर पड़ा है. इसके अलावा, विनिर्माण क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धित (GVA) में भी मंदी देखी जा सकती है.
RBI की संभावित रणनीति
इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, रिपोर्ट का सुझाव है कि RBI संतुलित नीति अपनाते हुए 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है. इसका उद्देश्य वित्तीय स्थिरता बनाए रखते हुए आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना होगा. साथ ही, भविष्य में केंद्रीय बैंक सतर्क और डेटा-आधारित दृष्टिकोण अपनाएगा, ताकि बाजार की परिस्थितियों के अनुसार उचित नीतिगत निर्णय लिए जा सकें.
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