Republic Day 2025: भारत का संविधान न केवल दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, बल्कि इसे बनाने की प्रक्रिया भी असाधारण थी. 26 नवंबर 1949 को अपनाए गए इस संविधान को लागू करने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे. आइए इस ऐतिहासिक दस्तावेज की रोचक जानकारियों पर नज़र डालते हैं.
संविधान निर्माण की प्रक्रिया
संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी में तैयार की गई थी. इसे पूरी तरह से हाथ से लिखा गया, जो अपने आप में एक बड़ा काम था. संविधान निर्माण के दौरान, पहली बार जब इसका ड्राफ्ट बहस के लिए रखा गया, तो इसमें 2000 से अधिक संशोधन किए गए. यह प्रक्रिया भारतीय संविधान की विस्तृत और समावेशी प्रकृति को दर्शाती है.
432 निब और 64 लाख रुपये का खर्च
संविधान को लिखने का जिम्मा प्रसिद्ध कैलिग्राफिस्ट प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को सौंपा गया था. रायजादा ने यह कला अपने दादा से सीखी थी. संविधान लिखने के लिए उन्होंने कोई मेहनताना नहीं लिया. दस्तावेज़ को लिखने में कुल 432 निबों का उपयोग किया गया, जो इंग्लैंड से मंगाई गई थीं. निब को होल्डर में लगाकर पेन बनाया गया और इसे स्याही में डुबोकर लिखा गया. संविधान निर्माण में कुल 64 लाख रुपये खर्च हुए थे. इस राशि में कागज, स्याही, निब, और अन्य सामग्रियों की लागत शामिल थी.
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डॉ. अंबेडकर की भूमिका
संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान का प्रमुख निर्माता माना जाता है. उन्होंने विभिन्न देशों के संविधानों का अध्ययन कर भारतीय संविधान को तैयार किया. उनके प्रयासों ने भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे समावेशी दस्तावेज़ बनाया.
संविधान दिवस की शुरुआत
2015 में डॉ. अंबेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में, 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित किया गया. यह दिन संविधान निर्माण प्रक्रिया की महत्ता को याद करने और नागरिक अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है.
भारतीय संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र की आधारशिला है, जो समानता, स्वतंत्रता और न्याय का प्रतीक है.
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