भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. इनमें गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं. इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने एनपीए नियमों का अनुपालन करने में विफल रहने पर कर्नाटक बैंक पर भी 1.2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.
रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि उसने केंद्रीय बैंक के निर्देशों के कुछ प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने के लिए बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) पर पांच करोड़ रुपये का जुमार्ना लगाया है. ये आय मान्यता, संपत्ति वर्गीकरण और अग्रिम से संबंधित प्रावधान के तहत आते हैं. इसका ब्योरा देते हुए रिजर्व बैंक ने कहा कि 31 मार्च, 2017 और मार्च, 2018 की वित्तीय स्थिति के तहत बीओआई के सांविधिक निरीक्षण में यह तथ्य सामने आया है कि बैंक ने कुछ निर्देशों का अनुपालन नहीं किया है. इस बारे में बैंक को नोटिस दिया था.
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नोटिस पर बैंक के जवाब और व्यक्तिगत सुनवाई के बाद बैंक पर जुर्माना लगाने का फैसला किया गया है. इसी तरह के मामले में रिजर्व बैंक ने कर्नाटक बैंक पर 1.2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. केंद्रीय बैंक ने आय मान्यता और संपत्ति वर्गीकरण (आईआरएसी) नियमों पर निर्देशों का अनुपालन नहीं करने के लिए सारस्वत को-ऑपरेटिव बैंक पर भी 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
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इधर, फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी कि सरकार के करीब 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज के तहत पहले से स्वीकृत उधार देने से उन्हें कर्ज की किस्ते वसूल करने में उल्लेखनीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. रपट में कहा गया है कि इससे अगले दो वर्षों के दौरान उनके बकाया ऋण अनुपात में छह प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है. फिच रेटिंग्स ने कहा कि जबरन कर्ज देने के दबाव के चलते बैंकों का बकाया ऋण अनुपात दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के बीच हो सकता है. यह बैंकों के हालात की गंभीरता और बैंकों के जोखिम लेने की क्षमता और उच्च नियामक प्रावधानों पर निर्भर करेगा. एजेंसी ने हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के बैंकों के एनपीए के बारे में अलग-अलग जानकारी नहीं दी. सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकेज में बैंक ऋण में कई तरह की राहत और कर्ज अदायगी में दी गई मोहलत में 90 दिनों की वृद्धि शामिल है.
Posted By : Amitabh Kumar
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