मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा. एसबीआइ रिसर्च की रिपोर्ट इकोरैप में यह अनुमान लगाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए गैर-परंपरागत नीतिगत उपाय कर सकती है. रिजर्व बैंक के गवर्नर की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक चार अगस्त को शुरू होगी.
बैठक के नतीजों की घोषणा छह अगस्त को की जायेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी से रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती हो चुकी है. बैंकों ने ग्राहकों को नये कर्ज पर इसमें से 0.72 प्रतिशत कटौती का लाभ दिया है. कुछ बड़े बैंकों ने तो 0.85 प्रतिशत तक का लाभ ग्राहकों को दिया है.
इसकी वजह यह है रिजर्व बैंक ने नीतिगत उद्देश्यों को पाने के लिए आगे बढ़कर लिक्विडिटी को एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया. रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों ने वित्तीय परिसंपत्तियां रखने को प्राथमिकता दी है.
इससे देश में वित्तीय बचत को प्रोत्साहन मिला है. रिपोर्ट कहती है, अनुमान है कि 2020-21 में वित्तीय बचत में इजाफा होगा. इसकी एक वजह लोगों द्वारा एहतियाती उपाय के तहत बचत करना भी है.
Post by : Pritish Sahay
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