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टमाटर लाल-आलू बेकाबू, प्याज निकाल रहा दम : महंगाई 15 महीने के रिकॉर्ड हाई पर

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ने से खुदरा महंगाई जुलाई महीने में 11.51 फीसदी रही, जो जून में 4.55 फीसदी तथा पिछले साल जुलाई में 6.69 फीसदी थी. सालाना आधार पर सब्जियों की महंगाई दर 37.43 फीसदी रही.

नई दिल्ली : भारत में सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती महंगाई आम आदमी की जेबों को फाड़कर आर्थिक हुलिया खराब कर रही है. आलम यह कि बीते जुलाई महीने में सब्जी के दामों से लोगों का दम निकल रहा है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सब्जियों और खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ने से से खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में उछलकर 15 महीने के रिकॉर्ड स्तर 7.44 फीसदी पर पहुंच गई. सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जून में 4.87 फीसदी थी, जबकि पिछले साल जुलाई में यह 6.71 फीसदी थी. इससे पहले, अप्रैल 2022 में मुद्रास्फीति 7.79 फीसदी के उच्च स्तर पर रही थी.

सब्जियां 37.43 फीसदी महंगी

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ने से खुदरा महंगाई जुलाई महीने में 11.51 फीसदी रही, जो जून में 4.55 फीसदी तथा पिछले साल जुलाई में 6.69 फीसदी थी. सालाना आधार पर सब्जियों की महंगाई दर 37.43 फीसदी रही, जबकि अनाज और उसके उत्पादों के दाम में 13 फीसदी की वृद्धि हुई.

थोक मुद्रास्फीति लगातार चौथे माह नकारात्मक दायरे में

उधर, खाद्य वस्तुओं विशेषरूप से सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंचने के बावजूद थोक मुद्रास्फीति जुलाई में लगातार चौथे माह नकारात्मक दायरे में बनी रही. जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति शून्य से 1.36 फीसदी नीचे रही है. सब्जियों की कीमतों में 62.12 फीसदी की वृद्धि के कारण थोक मुद्रास्फीति जून में शून्य से 4.12 फीसदी नीचे रही थी. पिछले साल जुलाई में यह 14.07 फीसदी थी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 14.25 फीसदी रही, जो जून में 1.32 फीसदी थी.

खनिज तेल और केमिकल प्रोडक्ट्स के दामों में गिरावटर

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि जुलाई, 2023 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से खनिज तेल, बुनियादी धातुओं, रसायन और रसायन उत्पादों, कपड़ा और खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी के कारण आई है. केयरएज की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि यदि खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ती रहीं, तो आने वाले महीनों में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति सकारात्मक दायरे में आ सकती है. ईंधन और बिजली खंड की मुद्रास्फीति जुलाई में शून्य से 12.79 प्रतिशत नीचे रही, जो जून में शून्य से 12.63 फीसदी नीचे थी. विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति मई में -2.51 फीसदी नीचे रही. जून में यह शून्य 2.71 फीसदी नीचे थी.

सब्जियों की कीमत से बाजार प्रभावित

बार्कलेज के ईएम एशिया (चीन को छोड़कर) आर्थिक अनुसंधान के प्रमुख राहुल बजोरिया ने कहा कि मासिक आधार पर थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट की धीमी गति करीब पूरी तरह से सब्जियों की कीमतों के कारण है, जो वास्तव में बढ़ी हैं. मूल रूप से सब्जियों की बढ़ती कीमतों की वजह से बाजार प्रभावित हो रहा है. सब्जियों के अलावा, अनाज तथा दालों में वृद्धि देखी गई, जहां मुद्रास्फीति क्रमशः 8.31 फीसदी और 9.59 फीसदी रही.

आरबीआई ने रेपो रेट को रखा अपरिवर्तित

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बढ़ती खुदरा महंगाई को काबू में रखने के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से पिछले सप्ताह लगातार तीसरी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा था. गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि मुद्रास्फीति को लेकर अभी काम खत्म नहीं हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य वस्तुओं, ऊर्जा के दाम में उतार-चढ़ाव तथा भू-राजनीतिक तनाव बने रहने तथा मौसम संबंधित अनिश्चितताओं के कारण मुद्रास्फीति को लेकर जोखिम बना हुआ है.

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आरबीआई ने मुद्रास्फीति अनुमान में की बढ़ोतरी

आरबीआई ने खाद्य वस्तुओं के दाम के कारण उत्पन्न दबाव का हवाला देते हुए चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 5.1 आरबीआई से बढ़ाकर 5.4 फीसदी कर दिया है. जुलाई-सितंबर तिमाही में महंगाई दर 6.2 फीसदी रहने का अनुमान है, जो पहले के 5.2 फीसदी के अनुमान से ज्यादा है.

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