Retail Inflation Data: खाने का सामान सस्ता होने से खुदरा मुद्रास्फीति मई में नरम होकर 7.04 प्रतिशत पर

Retail Inflation Data: खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई, 2022 में घटकर 7.97 प्रतिशत रही, जो पिछले महीने 8.31 प्रतिशत थी. भारतीय रिजर्व बैंक ने इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 13, 2022 6:26 PM
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Retail Inflation Data: खाने का सामान सस्ता होने से खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) मई महीने में घटकर 7.04 प्रतिशत पर आ गयी. हालांकि, यह पिछले लगातार पांच माह से भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित (सीपीआई) मुद्रास्फीति 7.79 प्रतिशत पर थी. पिछले साल मई में खुदरा मुद्रास्फीति 6.3 प्रतिशत थी.

अप्रैल में 8.31 प्रतिशत थी महंगाई दर

खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई, 2022 में घटकर 7.97 प्रतिशत रही, जो पिछले महीने 8.31 प्रतिशत थी. भारतीय रिजर्व बैंक ने इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है. केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है. सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है.

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शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई में वृद्धि हुई

अप्रैल के मुकाबले शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई में वृद्धि हुई है. अप्रैल में शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई दर 8.09 फीसदी रहा था, जो मई में बढ़कर 8.20 फीसदी पर पहुंच गया है. बता दें कि केंद्र सरकार ने 21 मई को पेट्रोल और डीजल पर क्रमश: 8 रुपये और 6 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी घटाने का ऐलान किया था. इसके बाद 6 राज्यों ने वैल्यू ऐडेड टैक्स (VAT) में कमी की थी.

एक्साइज ड्यूटी में कमी से खुदरा महंगाई में आयी कमी

माना जा रहा है कि एक्साइज ड्यूटी और वैट में कमी के चलते माल ढुलाई पर लागत घटने से खुदरा महंगाई में कमी आयी है. हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने का नाम नहीं ले रही. कच्चा तेल अब भी 120 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना हुआ है. सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल भारी नुकसान में बेच रही हैं.

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