खाद्य पदार्थों के दाम घटने से मई में घटी खुदरा महंगाई, औद्योगिक उत्पादन 5 फीसदी बढ़ा
Reatail Inflation: सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि सीपीआई मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे. जून महीने की शुरुआत में आरबीआई ने 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था.
Retail Inflation: खाने-पीने की चीजों की कीमतों में मामूली गिरावट से खुदरा मुद्रास्फीति मई में घटकर 4.75 फीसदी पर आ गईृ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल, 2024 में 4.83 फीसदी और मई, 2023 में 4.31 फीसदी थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, मई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 8.69 फीसदी रही, जो अप्रैल में 8.70 फीसदी थी. कुल मुद्रास्फीति में फरवरी, 2024 से लगातार कमी आई है. यह फरवरी में 5.1 फीसदी थी और अप्रैल, 2024 में घटकर 4.8 फीसदी पर आ गई.
महंगाई पर आरबीआई का अनुमान
सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि सीपीआई मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे. जून महीने की शुरुआत में आरबीआई ने 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. इसमें पहली तिमाही में इसके 4.9 फीसदी, दूसरी तिमाही में 3.8 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है. केंद्रीय बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है.
औद्योगिक उत्पादन पांच फीसदी बढ़ा
उधर, खनन और बिजली क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन की वजह से इस साल अप्रैल में देश का औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) पांच फीसदी बढ़ गया. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, औद्योगिक गतिविधियों का सूचक माना जाने वाला औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अप्रैल महीने में पांच फीसदी की दर से बढ़ा, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 4.6 फीसदी बढ़ा था.
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अप्रैल में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 3.9 फीसदी बढ़ा
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2024 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 3.9 फीसदी बढ़ा, जबकि एक साल पहले इसी महीने में यह 5.5 फीसदी बढ़ा था. इस साल अप्रैल में खनन उत्पादन 6.7 फीसदी और बिजली उत्पादन 10.2 फीसदी बढ़ा. इन दोनों क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन ने कुल औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाने में मदद की.
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