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फिर बढ़ने लगी महंगाई, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते NPA, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति से बढ़ी चिंता

नवंबर 2021 में खुदरा महंगाई दर 4.91 फीसदी थी, जो दिसंबर 2021 में बढ़कर 5.59 फीसदी हो गयी है. नवंबर और अक्टूबर में भी महंगाई दर बढ़ी थी.

Price Rise: पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले फिर बढ़ने लगी है महंगाई. ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते एनपीए, बेरोजगारी और मुद्रास्फीति (Inflation) ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. केंद्र सरकार ने दिसंबर महीने की महंगाई का आंकड़ा बुधवार को जारी कर दिया है. इसमें बताया गया है कि खुदरा महंगाई (Consumer Price Index) लगातार तीसरे महीने बढ़ी है. नवंबर 2021 में खुदरा महंगाई दर 4.91 फीसदी थी, जो दिसंबर 2021 में बढ़कर 5.59 फीसदी हो गयी है. नवंबर और अक्टूबर में भी महंगाई दर बढ़ी थी.

आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो सितंबर में खुदरा महंगाई दर 4.35 फीसदी रही थी, जबकिि अक्टूबर में 4.48 फीसदी और नवंबर में 4.91 फीसदी हो गयी थी. भारतीय रिजर्व बैंक ने अधिकतम 4 फीसदी महंगाई दर का लक्ष्य तय कर रखा है, जिससे खुदरा महंगाई दर बहुत ज्यादा हो चुकी है. आरबीआई की ओर से लगातार 9 बार मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया था, ताकि महंगाई दर नियंत्रण में रहे. लेकिन, यह बेकाबू होता जा रहा है.

लोगों की रसोई का बजट पहले खाद्य तेल ने बिगाड़ा. पेट्रोल-डीजल और गैस की कीमतों ने महंगाई की आग में घी का काम किया. सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी के लिए टैक्स में कुछ कटौती की. लोगों को महंगाई से राहत मिल पाती, उससे पहले ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें फिर अपने पुराने स्तर के करीब पहुंच गयी है. इसलिए आमलोगों को महंगाई से राहत नहीं मिल पा रही है.

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ग्रामीण क्षेत्र में एनपीए बढ़ा

ग्रामीण ऋणों के भुगतान में चूक की दर (एनपीए) जून, 2021 तक दो वर्ष के दौरान बिगड़ी है. इसके साथ ही बकाया ऋणों में गिरावट के बावजूद छोटे कर्जों पर बहुत ज्यादा दबाव देखने को मिला. ऋण सूचना मुहैया कराने वाली कंपनी क्रिफ हाई मार्क ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के साथ मिलकर एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसे बुधवार को जारी किया गया. ग्रामीण कारोबार विश्वास सूचकांक (आरबीसीआई) के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट में उपरोक्त दावा किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2021 में यह सूचकांक 63.9 प्रतिशत रहा. हालांकि, ऋण के विस्तार और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बजट आवंटन बढ़ने से भी ग्रामीण क्षेत्र का कारोबारी भरोसा बढ़ने जैसे सकारात्मक पहलू भी सामने आये हैं. खास बात यह है कि जून, 2019 से लेकर जून, 2021 के दौरान ग्रामीण खुदरा कर्ज में चूक की दर मूल्य के लिहाज से 0.5 फीसदी गिरी. यह सूक्ष्म-वित्त के मामले में 2.8 फीसदी और ग्रामीण वाणिज्यिक ऋण के मामले में 0.2 प्रतिशत रही. हालांकि, ग्रामीण ऋणों के गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में तब्दील होने की दर बढ़ी है.

ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.3 फीसदी हुई

देश की करीब 60 प्रतिशत आबादी वाले ग्रामीण क्षेत्रों में औसत बेरोजगारी दर भी 2021 में बढ़कर 7.3 प्रतिशत हो गयी, जबकि 2019 में यह 6.8 फीसदी रही थी. रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों को बढ़ती महंगाई से भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.

महंगाई ने भी बढ़ायी चिंता

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति ग्रामीण इलाकों में 5.9 फीसदी रही जबकि एक साल पहले यह 4.3 प्रतिशत थी. क्रिफ हाई मार्क के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नवीन चंदानी ने कहा, ‘भारत में दो-तिहाई श्रमबल ग्रामीण क्षेत्रों में ही रहता है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था हमारी राष्ट्रीय आय में करीब 46 प्रतिशत का योगदान देती है. निश्चित रूप से यह भारत की आर्थिक प्रगति की रीढ़ है. कोविड-19 महामारी ने देश में एक महत्वपूर्ण संरचनात्मक बदलाव किया है और ग्रामीण भारत ने इस दौर में भी असाधारण जुझारू क्षमता दिखायी है.’

एजेंसी इनपुट के साथ

Posted By: Mithilesh Jha

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