आज भी 49 रुपये महीना पेंशन पाने को मजबूर हैं कोल माइन्स के रिटायर्ड कर्मचारी, 1.26 लाख को मिलता है 1000 रुपये
लोक लेखा समिति के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी की रिपोर्ट में कोल माइन्स क्षेत्र के रिटायर्ड पर्सन की पेंशन बढ़ाने की सिफारिश की गई थी. रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए फंड का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. फंड से बैड इन्वेस्टमेंट किया गया, जिससे 1,300 करोड़ रुपये का डीएलएफ फंड का बर्बाद हो गया.
विश्वत सेन
रांची : क्या आप यकीन कर सकते हैं कि आज के जमाने में भी किसी रिटायर्ड कर्मचारियों को मात्र 49 रुपये प्रति माह पेंशन मिलती है? शायद आपको इस बात पर यकीन न हो, लेकिन यह हकीकत है. कोल माइन्स क्षेत्र में बरसों तक हाड़तोड़ मेहनत कर अपनी सेवाएं देने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद केवल 49 रुपये मासिक पेंशन मिल रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि कोल माइन्स क्षेत्र के करीब 5,70,000 पेंशन पाने वाले रिटायर्ड पर्सन में से करीब 1,26,000 ऐसे हैं, जिन्हें पेंशन के नाम पर हर महीने 1000 रुपये ही मयस्सर है. रिटायर्ड कोल माइन्स कर्मचारियों की पेंशन को लेकर कोल एम्प्लॉयज फोरम के बैनर तले 5 फरवरी को कोलकाता में बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें रिटायर्ड कर्मचारियों पेंशन वृद्धि के लिए आंदोलन की रूप रेखा तैयार की जाएगी. हमने कोल माइन्स क्षेत्र के रिटायर्ड कर्मचारियों की आर्थिक दुर्दशा को लेकर बात की कोल एम्प्लॉयज फोरम के अध्यक्ष बिमान मित्रा से बातचीत की. आइए, जानते हैं कि उन्होंने इस मसले पर क्या कहा…?
पेंशन वृद्धि के प्रयास
कोल एम्प्लॉयज फोरम के अध्यक्ष बिमान मित्रा ने कहा कि हमलोग कोल माइन्स क्षेत्र के रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन में बढ़ोतरी को लेकर वर्ष 2014 से लेकर अब तक काफी प्रयास किए. 2014 में ही हमने तत्कालीन कोयला मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की थी. इसके साथ ही, हमने सांसदों से भी मुलाकात की थी. कोल माइन्स क्षेत्र के रिटायर्ड पर्सन की पेंशन को लेकर संसद में चर्चा भी की गई थी. इसके बाद वर्ष 2020 में लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी द्वारा एक रिपोर्ट भी सरकार को दी गई थी.
डीएलएफ फंड का 1,300 करोड़ रुपये बर्बाद
बिमान मित्रा ने कहा कि लोक लेखा समिति के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी की रिपोर्ट में कोल माइन्स क्षेत्र के रिटायर्ड पर्सन की पेंशन बढ़ाने की सिफारिश की गई थी. इसके साथ ही, उसमें यह भी कहा गया है कि रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए फंड का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि फंड से बैड इन्वेस्टमेंट किया गया, जिससे 1,300 करोड़ रुपये का डीएलएफ फंड का बर्बाद हो गया. इसके अलावा, कोल इंडिया या सिंगरौली को हमलोग पेंशन फंड के लिए हर साल हजार करोड़ रुपये देते हैं.
14 साल तक कोल माइन्स पेंशन स्कीम की रिव्यू नहीं
उन्होंने कहा कि वर्ष 1971 में कोल माइन्स फैमिली पेंशन स्कीम थी, जिसके तहत कोल माइन्स क्षेत्र के रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन दी जाती थी. इसके बाद वर्ष 1998 के मार्च में कोल माइन्स पेंशन स्कीम बनाई गई. इसके तहत, हर तीन साल पर पेंशन को रिव्यू करने की बात कही गई थी, लेकिन 1998 से 2012 तक के 14 साल में पेंशन को लेकर कोई भी रिव्यू नहीं की गई और न ही इससे संबंधित कोई रिपोर्ट तैयार की गई. उन्होंने कहा कि अगर इसमें रिव्यू करने के लिए वित्तीय प्रावधान होता तो आज ये स्थिति न होती.
1971 के बाद से कोल कर्मचारियों की पेंशन में वृद्धि नहीं
बिमान मित्रा ने कहा 2014 में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सदस्य कर्मचारियों की पेंशन बढ़ोतरी के लिए रिव्यू की गई और फिर उनकी पेंशन में 2400 रुपये की बढ़ोतरी की गई. वहीं, कोल माइन्स क्षेत्र के कर्मचारियों की पेंशन में वर्ष 1971 के दौरान 26 रुपये 98 पैसे की जो बढ़ोतरी हुई थी, उसके बाद से आज तक पेंशन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई. आज की तारीख में मिनिमम बेसिक पे 33,000 रुपये है, जिस पर बेसिक पेंशन 713.80 रुपये होनी चाहिए, लेकिन कोल पेंशनर्स को इसका लाभ नहीं मिला.
49 रुपये हर महीने पेंशन
उन्होंने कहा कि आज भी कोल माइन्स क्षेत्र में कई ऐसे कर्मचारी हैं, जिन्हें हर महीने मात्र 49 रुपये पेंशन मिलती है. उन्होंने कहा कि 5,70,000 कोल पेंशनर्स में से 20,000 रिटायर्ड पर्सन को अब भी हर महीने 500 रुपये से भी कम पेंशन मिलती हे. इसके अलावा, 1,26,000 ऐसे रिटायर्ड कर्मचारी हैं, जिन्हें हर महीने 1000 रुपये से कम पेंशन मिलती है.
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कोल एम्प्लॉयज फोरम की प्रमुख मांगे
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सरकार की ओर को कोल माइन्स के रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन में बढ़ोतरी की जाए.
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कोल इंडिया की ओर से न्यूनतम पेंशन निर्धारित की जाए, ताकि महंगाई के जमाने में पति-पत्नी का गुजारा हो सके.
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कोल माइन्स के रिटायर्ड कर्मचारियों की चिकित्सा की व्यवस्था की जाए.
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केंद्र सरकार स्वास्थ्य सेवाएं (सीजीएचएस) के अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में रिटायर्ड कर्मचारियों का इलाज फ्री किया जाए.
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कोल माइन्स क्षेत्र के रिटायर कर्मचारियों की पेंशन बढ़ोतरी के लिए 1998 में गठित कोल माइन्स पेंशन स्कीम के तहत रिव्यू किया जाए.
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रिटायर कर्मचारियों के बैंक खाते में दर्ज पेंशन पेमेंट ऑर्डर (पीपीओ) में वर्कर्स के उत्तराधिकारियों का नाम भी जोड़ा जाए, ताकि रिटायर कर्मचारियों की मृत्यु के बाद पत्नी की पेंशन निर्धारित हो सके.
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कोल माइन्स क्षेत्र के मृतक रिटायर कर्मचारियों की पत्नियों की वर्षों से लंबित पेंशन निर्धारण प्रक्रिया शुरू की जाए, उन्हें पेंशन देने की व्यवस्था की जाए.
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