Retirement Planning in First Job: 20 से 30 की उम्र में हम में से कई लोग जब अपनी पहली नौकरी हासिल करते हैं, तो हमारी आंखों में बंगला, गाड़ी और विदेश में छुट्टियों के सपने होते हैं. इस समय रिटायरमेंट प्लानिंग के बारे में शायद ही कोई सोचता है. लेकिन आगे चलकर कई मौकों पर हमें इसका पछतावा होता है.
जल्दी शुरुआत करने पर कंपाउंडिंग का लाभ अधिक
एक दमदार रिटायरमेंट प्लान में बजट और कंपाउंडिंग दो बड़े फैक्टर्स हैं. कंपाउंडिंग ब्याज शेष राशि पर मिलनेवाला ब्याज है, जो फिर से निवेश होता जाता है. इसके नतीजतन आप और अधिक ब्याज अर्जित करते हैं. इससे आपका पैसा उत्तरोत्तर बढ़ता जाता है. ऐसे में अगर आप बचत की शुरुआत जल्दी करते हैं, तो अपने पैसे को कंपाउंडिंग के जरिये लगातार बढ़ाते जाते हैं.
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SIP से भी उठा सकते हैं फायदा
रिटायरमेंट प्लानिंग में एसआईपी भी बड़ा मददगार साबित हो सकता है. एसआईपी भी निवेश का एक बड़ा जरिया है. इसके माध्यम से आप म्यूचुअल फंड में मासिक, त्रैमासिक या अर्धवार्षिक निवेश कर सकते हैं. आप चाहें तो एकमुश्त भी कोई रकम निवेश कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड में आपका किया गया निवेश जितने दिन रहेगा, आपकी रकम उतनी ही बढ़ेगी. यहां ध्यान दें कि एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश मार्केट के खतरों के अधीन है. ऐसे में सोच-समझकर सही जगह निवेश करने में ही भलाई है.
यूलिप भी हो सकता है फायदेमंद
आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग में यूलिप भी फायदेमंद हो सकता है. यूलिप का मतलब यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान होता है. यूलिप इन्वेस्टमेंट के साथ एक इंश्योरेंस प्लान भी है, जहां स्टॉक और बॉन्ड में निवेश किया जाता है. यह मौजूदा बाजार स्थितियों के हिसाब से जुड़ा हुआ रिटर्न जेनरेट करता है. एसआईपी और यूलिप के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि यूलिप के साथ जीवन बीमा कवरेज आता है, जबकि एसआईपी के साथ कोई इंश्योरेंस कवर नहीं होता है.
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