नयी दिल्ली : केंद्रीय वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने गुरुवार को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद की 41वीं बैठक के बाद कहा कि कोविड-19 महामारी जीएसटी कलेक्शन पर बहुत ही बुरा असर पड़ा है. अटॉर्नी जनरल ने यह राय दी है कि जीएसटी कलेक्शन में आने वाली कमी की भरपाई (मुआवजा) भारत की संचित निधि से नहीं की जा सकती. वित्त सचिव पांडेय ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी संग्रह में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी रही है, इसमें से केवल 97,000 करोड़ रुपये की कमी का कारण जीएसटी क्रियान्वयन है. शेष कमी का कारण कोविड-10 महामारी है.
जीएसटी परिषद की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पांच घंटे चली जीएसटी परिषद की बैठक में राज्यों को क्षतिपूर्ति के दो वकिल्पों पर चर्चा की गयी. वित्त मंत्री ने कहा कि जिन विकल्पों पर चर्चा हुई, वे केवल चालू वित्त वर्ष के लिए हैं. जीएसटी परिषद अगले साल अप्रैल में एक बार फिर मामले पर विचार करेगी.
वित्त सचिव पांडेय ने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में अप्रैल-जुलाई के लिए राज्यों का बकाया 1.5 लाख करोड़ रुपये है. वित्त मंत्री ने कोरोना वायरस महामारी का जिक्र करते हुए कहा कि इस प्राकृतिक आपदा से चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में गिरावट आ सकती है. वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि राज्यों ने उनसे विकल्पों के बारे में सोचने के लिए 7 दिन का समय मांगा था. उन्होंने कहा कि विकल्प केवल चालू वर्ष के दौरान उपलब्ध होंगे, स्थिति की समीक्षा अगले वर्ष की जाएगी. सीतारमण ने कहा कि हम जल्द ही एक और जीएसटी बैठक कर सकते हैं.
वित्त मंत्रालय के वित्त सचिव ने कहा कि अप्रैल-जुलाई 2020 के दौरान कुल जीएसटी मुआवजा 1.5 लाख करोड़ रुपये रहा, क्योंकि अप्रैल और मई में जीएसटी संग्रह नहीं हो पाया था. राजस्व सचिव ने कहा कि एक बार जीएसटी काउंसिल द्वारा व्यवस्था पर सहमति हो जाने के बाद हम बकाया राशि को तेजी से निपटा सकते हैं और आगे के वित्तीय वर्ष का भी ध्यान रख सकते हैं.
वित्त सचिव ने कहा कि ये विकल्प केवल इस वर्ष के लिए उपलब्ध होंगे. अप्रैल 2021 में परिषद 5वें वर्ष के लिए कार्रवाई की समीक्षा और निर्णय करेगी. उन्होंने कहा कि वार्षिक जीएसटी के मुआवजे की जरूरत लगभग 3 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है और उपकर संग्रह लगभग 65,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है.
Posted By : Vishwat Sen
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