20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार के इस लाल ने 1970 में कबाड़ से शुरू किया था कारोबार, आज अरबों का है साम्राज्य

Richest Person: अनिल अग्रवाल की 22 साल की उम्र में शादी हो गई. उनकी शादी की कहानी भी काफी रोचक है. उनकी शादी उनके पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल के दोस्त की बेटी से हुई.

Richest Person: हाथ में खाने का टिफिन और एक बिस्तर का गट्ठर लेकर मारवाड़ी परिवार का एक शख्स बिहार से बाहर निकला. कैरियर की तलाश में देश की औद्योगिक राजधानी मुंबई गया. मुंबई की सड़कों पर काफी खाक छानने के बाद उस शख्स ने कबाड़ का कारोबार शुरू किया. मेहनत और लगन से उसने न केवल अपने उस कबाड़ के कारोबार को आगे बढ़ाया, बल्कि इतना आगे बढ़ाया कि आज कई कंपनियों का मालिक है और देश-दुनिया में अरबों का साम्राज्य खड़ा कर दिया. कभी फोर्ब्स तो कभी टाइम पत्रिका अपनी अमीरों की सूची में इस शख्स का नाम छापती रहती है. आज इस शख्स को देश-दुनिया के लोग अनिल अग्रवाल के नाम से जानते हैं. जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं. ये वही अनिल अग्रवाल हैं, जिनका वेदांता ग्रुप नामक बड़ा कारोबारी साम्राज्य है. आइए, इनकी सफलता की कुछ रोचक बातें जानते हैं.

मेटल किंग के नाम से जाने जाते हैं अनिल अग्रवाल

सोवरेन डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनिल अग्रवाल का जन्म साल 1954 में बिहार की राजधानी पटना के एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था. उनके पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल का एल्युमिनियम कंडक्टर का एक छोटा-सा कारोबार था. उन्होंने पटना के मिलर हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. बचपन से ही उन्हें पढ़ाई में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी और वे शुरू से ही बिजनेस करना चाहते थे. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कॉलेज और यूनिवर्सिटी जाने के बजाय अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाना बेहतर समझा और आज उन्होंने अपने दम पर कारोबार का एक साम्राज्य खड़ा कर दिया. अनिल अग्रवाल वेदांता ग्रुप के साथ-साथ वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड के संस्थापक और अध्यक्ष भी हैं. उन्हें मेटल किंग के रूप में जाना जाता है.

19 साल की उम्र में करियर तलाशने के लिए छोड़ दिया बिहार

रिपोर्ट में कहा गया है कि अनिल अग्रवाल ने 19 साल की उम्र में करियर की तलाश करने और अपने पिता की मदद करने के लिए बिहार छोड़कर मुंबई चले गए. उनके संघर्ष की यात्रा 1975 में शुरू हुई. 1975 में अनिल अग्रवाल सफलता प्राप्त करने के सपने के साथ मुंबई पहुंचे. उनके पास केवल एक टिफिन और कंबल था. कुछ भी नहीं होने के बावजूद उन्होंने मार्गदर्शन के लिए हनुमान जी से प्रार्थना की और अपने सपने को आगे बढ़ाने की दुआ मांगी. वह मुंबई से काफी प्रेरित थे, जिसे उन्होंने फिल्मों में देखा था.

1976 में शमशेर स्टर्लिंग को खरीदा

रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई पहुंचने के एक साल के अंदर अनिल अग्रवाल ने वर्ष 1976 में बैंक से कर्ज लेकर शमशेर स्टर्लिंग कॉर्पोरेशन को खरीद लिया. उन्होंने अगले 10 सालों तक शमशेर स्टर्लिंग और अपने पिता की कंपनी का प्रबंधन किया. वर्ष 1986 में उनके जीवन में एक टर्निंग प्वाइंट आया, जब निजी क्षेत्र की कंपनियों को सरकार की ओर से टेलीफोन केबल बनाने की मंजूरी मिली. उन्होंने इस मौके का फायदा उठाया और स्टरलाइट इंडस्ट्रीज की स्थापना की. यह भारत में कॉपर स्मेल्टर और रिफाइनरी स्थापित करने वाली पहली निजी कंपनी थी.

22 साल की उम्र में शादी

अनिल अग्रवाल की 22 साल की उम्र में शादी हो गई. उनकी शादी की कहानी भी काफी रोचक है. उनकी शादी उनके पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल के दोस्त की बेटी से हुई. अनिल अग्रवाल के पिता ने अपने बेटे की शादी के लिए अपने दोस्त की बेटी को चुनने का फैसला किया, लेकिन लड़की के पिता ने अपनी बेटी की शादी किसी और से करने का फैसला किया. इसका कारण यह था कि अनिल अग्रवाल मुंबई में रहते थे और उस समय मुंबई में रहने वाले पुरुषों की छवि इतनी अच्छी नहीं थी. अनिल के पिता भी कम जिद्दी नहीं थे. उन्होंने अपने दोस्त की बेटी से अनिल की शादी करने की ठानी थी, तो बड़ी से न तो न सही, छोटी बेटी किरण को अपनी बहू बनाकर ही दम लिया. मजे की बात यह है कि मुंबई में रहने के दौरान उनकी दोस्ती बॉलीवुड के डिजाइनर अकबर भाई से हो गई थी. उनकी मदद से उन्होंने अमिताभ बच्चन और डिंपल कपाड़िया समेत कई दिग्गज कलाकारों से मुलाकात की थी. शादी में अकबर भाई ने अमिताभ बच्चन के सफारी सूट जैसा ही अनिल अग्रवाल का सफारी सूट बनवाया था. इस समय अनिल अग्रवाल की पत्नी किरण अग्रवाल हिंदुस्तान जिंक की चेयरपर्सन, सफल लेखिका और कवयित्री भी है.

संघर्ष के दिनों में मुंबई छोड़ पहुंच गए लंदन

शादी होने के बाद उनका संघर्ष और तेज हो गया. शुरुआती दिनों में मुंबई रहने के दौरान कई असफलताओं का सामना करना पड़ रहा था. इसलिए उन्होंने मुंबई छोड़कर लंदन जाने का फैसला किया. मां के पराठे और बाबूजी का शॉल लेकर अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर लंदन के लिए निकल पड़े. जब वे लंदन पहुंचे, तो उनके मन में डर बना था. उनके पिता उन्हें राह दिखा रहे थे. 2003 में वे लंदन स्टॉक एक्सचेंज में अपनी कंपनी वेदांत रिसोर्सेज को सूचीबद्ध करने वाले पहले भारतीय बने. उनका कहना है कि आस्था ही शक्ति का सच्चा स्रोत है, उन्हें अपने देवता पर पूरा भरोसा है और एक दिन वे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे.

इसे भी पढ़ें: जवानों के जाने के बाद पत्नी और पैरेंट्स को मिलेगी पेंशन, क्या नियमों में किया जाएगा बदलाव?

44 साल पहले की थी वेदांता ग्रुप की स्थापना

अनिल अग्रवाल ने आज से करीब 44 साल पहले वेदांता ग्रुप की स्थापना की थी. यह भारत की पहली बहुराष्ट्रीय खनन कंपनी है, जिसने दुनिया की अग्रणी प्राकृतिक संसाधन कंपनियों में से एक के रूप में अपनी पहचान बनाई. पहले इसे स्टरलाइट इंडस्ट्रीज के नाम से जाना जाता था. इसकी स्थापना अनिल अग्रवाल के पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल ने की थी. बाद में अनिल अग्रवाल ने कंपनी का अधिग्रहण कर लिया. उन्होंने इसके मूल संगठन वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड की स्थापना की.

इसे भी पढ़ें: जान लेंगे SIP का 15x15x15 फॉर्मूला तो हर महीने पेंशन 1 लाख, 1 करोड़ अलग से

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें