Rupee At All Time Low: रुपया 19 पैसे टूटकर 79.45 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर
Rupee At All Time Low: अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.30 पर कमजोर खुला और कारोबार के दौरान इसने 79.24 के उच्चतम तथा 79.50 रुपये के निचले स्तर को छुआ. अंत में रुपया पिछले बंद भाव के मुकाबले 19 पैसे की गिरावट के साथ 79.45 प्रति डॉलर पर बंद हुआ.
Rupee At All Time Low: डॉलर की भारी मांग और विदेशी पूंजी की भारी निकासी के बीच अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 19 पैसे लुढ़ककर 79.45 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. यह इसका सर्वकालिक निचला स्तर है. बाजार सूत्रों ने कहा कि हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपये के नुकसान पर कुछ अंकुश लगा दिया. कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तीसरे दिन गिरावट आयी है.
19 पैसे गिरकर बंद हुआ रुपया
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.30 पर कमजोर खुला और कारोबार के दौरान इसने 79.24 के उच्चतम तथा 79.50 रुपये के निचले स्तर को छुआ. अंत में रुपया पिछले बंद भाव के मुकाबले 19 पैसे की गिरावट के साथ 79.45 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. यह शुक्रवार को 79.26 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.
दबाव में रुपया, 20 साल के रिकॉर्ड हाई पर डॉलर
दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.56 प्रतिशत बढ़कर 107.60 अंक हो गया. रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च विभाग की उपाध्यक्ष सुगंधा सचदेवा ने कहा, ‘अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जून में नौकरियों की संख्या में प्रभावशाली वृद्धि होने के साथ ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि किये जाने की संभावना और प्रबल हो गयी है, जो डॉलर सूचकांक को ऊंचाई की ओर धकेल रही है. डॉलर 20 साल के नये उच्च स्तर की ओर बढ़ गया है.’
व्यापार घाटा रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचा
सुगंधा सचदेवा ने कहा, ‘घरेलू मोर्चे पर बढ़ते व्यापार घाटा के बारे में चिंताओं के कारण रुपये पर और दबाव है. व्यापार घाटा जून के महीने में 25.6 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया है.’ बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 86.61 अंक टूटकर 54,395.23 अंक पर बंद हुआ. वैश्विक मानक ब्रेंट क्रूड वायदा का दाम 1.43 प्रतिशत घटकर 105.49 डॉलर प्रति बैरल रह गया. एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा कि डॉलर में ताजा तेजी यूरोप, ब्रिटेन और जापान की कमजोर आर्थिक गतिविधियों की वजह से आयी है.
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