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डॉलर के मुकाबले रुपया सबसे निचले स्तर पर पहुंचा, 1 डॉलर की कीमत हुई 77.44 रुपये

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी बांड आय बढ़ने तथा मुद्रास्फीति को लेकर चिंताओं के बीच निवेशक जोखिम लेने से बच रहे हैं. इन परिस्थितियों के बने रहने से वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा अधिक आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में वृद्धि की जा सकती है.

मुंबई: डॉलर के मुकाबले रुपया सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. सोमवार को 1 डॉलर की कीमत 77.44 रुपये हो गयी. विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने और विदेशी पूंजी की सतत निकासी के कारण रुपया (Rupees) डॉलर (Dollar) के मुकाबले 54 पैसे टूटकर रिकॉर्ड निचले स्तर 77.44 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.

विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी बांड आय बढ़ने तथा मुद्रास्फीति को लेकर चिंताओं के बीच निवेशक जोखिम लेने से बच रहे हैं. इन परिस्थितियों के बने रहने से वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा अधिक आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में वृद्धि की जा सकती है.

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 77.17 के भाव पर कमजोर खुला और कारोबार के अंत में अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले 54 पैसे की जोरदार गिरावट के साथ 77.44 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.

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सर्वकालिक निचले स्तर पर रुपया

दिन में कारोबार के दौरान रुपया 55 पैसे की गिरावट के साथ 77.52 के अपने सर्वकालिक निचले स्तर को छू गया था. शुक्रवार को रुपया 55 पैसे की गिरावट के साथ 76.90 के भाव पर बंद हुआ था. बीते दो कारोबारी सत्रों में रुपये में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 109 पैसे की गिरावट आ चुकी है.

रुपया के गिरने की वजह

करेंसी एंड एनर्जी के शोध विश्लेषक रॉयस वर्गीज जोसफ, आनंद राठी शेयर्स और स्टॉक ब्रोकर्स ने कहा, ‘मजबूत डॉलर सूचकांक और अमेरिकी ट्रेजरी आय के निरंतर बढ़ने से बीच बाकी एशियाई मुद्राओं के कमजोर होने से भारतीय रुपये का हाजिर मूल्य रिकॉर्ड स्तर तक गिर गया.’

जोसफ ने आगे कहा, ‘कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और बढ़ती घरेलू मुद्रास्फीति के कारण विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) घरेलू प्रतिभूतियों में बिक्री और बढ़ा सकते हैं. इस बीच, निर्धारित बैठकों से इतर चार मई की बैठक में रिजर्व बैंक ने रुपये को मजबूत करने की दिशा में कुछ विशेष नहीं किया. आगे, हम रुपये का हाजिर भाव 77.8 रुपये प्रति डॉलर तक कमजोर होता देख सकते हैं.

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशी मुद्रा एवं सर्राफा विश्लेषक, गौरांग सोमैया ने कहा कि इस हफ्ते भारत और अमेरिका के महंगाई के आंकड़ों पर निवेशकों की निगाह होगी. एलकेपी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक, जतिन त्रिवेदी के अनुसार, ‘डॉलर सूचकांक का 104 से ऊपर रहना विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के उभरते बाजारों से आक्रामक तरीके से बाहर निकलने का संकेत देता है.’

नकदी संकट से दबाव में है रुपया

उन्होंने कहा कि नकदी संकट से रुपया पहले से दबाव में है और कच्चे तेल की कीमतें भी एक महीने से बढ़ रही हैं, जिससे रुपया और भी कमजोर हो गया है. इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.33 प्रतिशत बढ़कर 104 पर पहुंच गया.

शेयर और कच्चे तेल की कीमतें भी गिरीं

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.68 प्रतिशत की गिरावट के साथ 110.50 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 364.91 अंक की गिरावट के साथ 54,470.67 अंक पर बंद हुआ.

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