Rupees: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया एक पैसा बढ़कर 86.60 पर बंद, जानें पूरी खबर
Rupees: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया शुक्रवार को एक पैसे मजबूत होकर 86.60 पर बंद हुआ. घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बावजूद आरबीआई के हस्तक्षेप ने रुपये को स्थिर बनाए रखा.
Rupees: अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में शुक्रवार को भारतीय रुपया एक पैसे की मजबूती के साथ 86.60 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. हालांकि, घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की भारी बिकवाली के कारण निवेशकों की धारणा प्रभावित रही.
रुपये का प्रदर्शन
- शुक्रवार को रुपया 86.60 पर खुला.
- दिन के दौरान यह 86.55 के उच्चतम स्तर और 86.62 के निम्नतम स्तर के बीच कारोबार करता रहा.
- यह पिछले सत्र के 86.61 के मुकाबले एक पैसे मजबूत होकर बंद हुआ.
- इससे पहले, मंगलवार और बुधवार को रुपये में 30 पैसे की मजबूती दर्ज की गई थी.
रुपये को मजबूती का कारण
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा डॉलर की बिक्री ने रुपये को 86.60 के स्तर पर स्थिर रखा. आरबीआई के बुलेटिन के अनुसार, विदेशी मुद्रा बाजार में बैंक के हस्तक्षेप ने पूंजी प्रवाह की अस्थिरता से प्रभावी तरीके से निपटने में मदद की है.
रुपये पर दबाव डालने वाले कारक
- कच्चे तेल की ऊंची कीमतें: वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड शुक्रवार को 0.52% गिरकर 80.87 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया.
- डॉलर की मजबूती: छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर का सूचकांक 0.28% बढ़कर 109.26 पर पहुंच गया.
- घरेलू शेयर बाजार का गिरना: बीएसई सेंसेक्स 423.49 अंकों की गिरावट के साथ 76,619.33 पर बंद हुआ.
- एनएसई निफ्टी 108.60 अंक गिरकर 23,203.20 पर बंद हुआ।
विशेषज्ञों की राय
मिराए एसेट शेयरखान के विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, “घरेलू बाजार के नकारात्मक रुख और आयातकों की बढ़ी हुई मांग के चलते रुपये पर दबाव रह सकता है. हालांकि, आरबीआई के हस्तक्षेप से यह निचले स्तर पर समर्थन पा सकता है.” अनुज ने अनुमान लगाया कि डॉलर-रुपया हाजिर मूल्य 86.55 से 86.95 के बीच रह सकता है.
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विदेशी संस्थागत निवेशकों की भूमिका
एफआईआई ने शुक्रवार को 3,318.06 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे, जिससे बाजार पर दबाव बना. रुपये की यह मामूली मजबूती आरबीआई के हस्तक्षेप का परिणाम हो सकती है, लेकिन घरेलू और वैश्विक कारकों के चलते रुपये पर अभी भी दबाव बना हुआ है.
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