कोरोना काल में आर्थिक सुस्ती से उबार सकता है ग्रामीण भारत, एग्रीकल्चर जीडीपी ग्रोथ ने तोड़ा पिछले पांच साल का रिकॉर्ड

देश में बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के बीच ग्रामीण भारत आर्थिक सुधार की बुनियाद बन सकता है. इसका कारण यह है कि देश में अच्छे मानसून के साथ एग्रीकल्चर जीडीपी ग्रोथे ने पिछले पांच साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. बार्कलेज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, कोरोना वायरस के पुष्ट संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा होना एक चिंता का विषय है. नीति निर्माताओं ने हाल ही में ग्रामीण क्षेत्र के नेतृत्व में आर्थिक सुधार की संभावनाओं के बारे में आशावादी रूप से बात की है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2020 7:07 PM

नयी दिल्ली : देश में बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के बीच ग्रामीण भारत आर्थिक सुधार की बुनियाद बन सकता है. इसका कारण यह है कि देश में अच्छे मानसून के साथ एग्रीकल्चर जीडीपी ग्रोथे ने पिछले पांच साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. बार्कलेज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, कोरोना वायरस के पुष्ट संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा होना एक चिंता का विषय है. नीति निर्माताओं ने हाल ही में ग्रामीण क्षेत्र के नेतृत्व में आर्थिक सुधार की संभावनाओं के बारे में आशावादी रूप से बात की है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इस साल के मानसून में अब तक अच्छी बारिश हुई है. खरीफ फसलों की बुआई के लिहाज से जुलाई और अगस्त के महीने में होने वाली बारिश महत्वपूर्ण है. इसके अलावा, फसलों की पैदावार के लिए बारिश के पानी से सिंचाई की प्रचुर उपलब्धता के भी आसार दिखाई दे रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसून में खरीफ मौसम की मजबूत शुरुआत, पानी की उपलब्धता का उच्च स्तर, रिकॉर्ड बुआई का स्तर और बढ़ते ग्रामीण खर्च से संकेत मिलते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र अच्छा कर रहे हैं, जो पूरे साल जारी रह सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त रूप से भारत को इस साल कृषि क्षेत्र में लगभग 13 फीसदी की मामूली जीडीपी वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है, जो पिछले पांच साल के औसत 9 फीसदी से अधिक है. इसकी बदौलत ग्रामीण आय में भी बढ़ोतरी की भी उम्मीद है. कुल मिलाकर ग्रामीण भारत को 17 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त आमदनी होने की संभावना है, जो हाल के ऐतिहासिक रुझानों से अधिक है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण भारत की आमदनी भी सीधे उपभोग से जुड़ी हुई है. इसलिए निजी खपत में भी 12 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है. ग्रामीण आमदनी में गिरावट का पिछले साल खपत पर हानिकारक प्रभाव पड़ा, जिसने एफएमसीजी, ऑटोमोबाइल आदि जैसे क्षेत्रों की वृद्धि को धीमा कर दिया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल कृषि के मजबूत विकास के साथ भारत की समग्र अर्थव्यवस्था को भी राहत मिल सकती है, जो वर्तमान में कोरोना वायरस के कारण आर्थिक बंदी का सामना कर रही है. एक मजबूत ग्रामीण क्षेत्र में भी चहल-पहल कम होना चाहिए, लेकिन पूरी तरह से बंद नहीं होना चाहिए, जो कोविड-19 संकट के कारण चल रही आर्थिक क्षति है. अंततः स्वास्थ्य देखभाल प्रबंधन और रोग समाधान ही अर्थव्यवस्था की सामान्य स्थिति में वापसी की गति को निर्धारित करेगा. यहां संकेत बहुत क्रमिक सुधार के लिए बने हुए हैं. हालांकि, कई रेटिंग एजेंसियों ने इस साल के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि को कम कर दिया है.

Also Read: जीएसटी, कृषि की वजह से इस साल जीडीपी की वृद्धि दर चार साल के निचले स्तर पर आने का अनुमान

Posted By : Vishwat Sen

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version