Russia Ukraine War Impact on LIC IPO यूक्रेन संकट के चलते दुनियाभर के शेयर बाजारों में खलबली मची है. ऐसे में भारतीय शेयर बाजार में अब तक के सबसे बड़े इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) के आईपीओ के दलाल स्ट्रीट तक पहुंचने में देरी की संभावना जताई जा रही है. चर्चा है कि कम से कम मार्च तक ऐसा नहीं हो पाएगा. दरअसल, यूक्रेन संकट से बने हालात के बीच शेयर मार्केट ने जिस तरह का गोता लगाया है और इस माहौल में इनवेस्टर सेंटिमेंट जिस हद तक प्रभावित हुआ है, उसे देखते हुए एलआईसी के आईपीओ के बारे में सरकार नए सिरे से विचार कर सकती है.
बता दें कि सरकार इस आईपीओ के जरिए एलआईसी में करीब 5 फीसदी हिस्सा बेचने वाली थी. यूक्रेन संकट जिस तरह एक बड़े युद्ध की ओर बढ़ता दिख रहा है, उसके चलते एलआईसी के आईपीओ में घरेलू और विदेशी संस्थागत निवेशकों की दिलचस्पी घटने की आशंका जाहिर की जा रही है. इसी के मद्देजनर सरकार आईपीओ का लॉन्च आगे बढ़ा सकती है. इस बारे में निर्णय करने के लिए इसी सप्ताह बैठक होने की संभावना है.
इससे पहले मोदी सरकार ने पहले एलआईसी के आईपीओ के लिए मार्च की डेडलाइन तय की थी. आईपीओ के दस्तावेज फरवरी में फाइल किए जा चुके हैं. यूक्रेन संकट के कारण उपजे हालात को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिए हैं कि अगर तेजी से बदलते अंतरराष्ट्रीय हालात की वजह से ऐसी नौबत आई तो सरकार लाइफ इंश्योरेंस कॉरेपोरेशन के आईपीओ (LIC IPO) की टाइमलाइन पर फिर से विचार कर सकती है. निर्मला सीतारमण ने हाल ही में दिए एक साक्षात्कार में उक्त बातें कही है
वित्त मंत्री सीतारमण ने बिजनेसलाइन को दिए इंटरव्यू में कहा है कि वैसे तो मैं एलआईसी के आईपीओ के मामले में पहले से तय कार्यक्रम के हिसाब से ही आगे बढ़ना चाहूंगी. क्योंकि, इसके लिए हमने भारतीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए काफी पहले से तैयारी की हुई है. लेकिन, अगर अंतरराष्ट्रीय हालात को ध्यान में रखते हुए जरूरत पड़ी तो मैं इस पर फिर से विचार करने के लिए भी तैयार हूं. एलआईसी का आईपीओ लाने में देरी का असर सरकार के सालाना विनिवेश लक्ष्य पर दिखने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अगर प्राइवेट सेक्टर के किसी प्रमोटर को इस तरह का फैसला करना हो, तो उसे सिर्फ अपनी कंपनी के बोर्ड को ही सफाई देनी होती है. लेकिन मुझे इस बारे में सारी दुनिया को स्पष्टीकरण देना पड़ेगा.
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