भारत में सेवा क्षेत्र की गतिविधियां फरवरी 2023 में 12 साल के उच्च स्तर पर पहुंची

एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में अर्थशास्त्र की संयुक्त निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि सेवा क्षेत्र ने जनवरी में खोई हुई वृद्धि गति को फिर से हासिल किया और 12 वर्षों में उत्पादन में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की. मांग में लचीलापन और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण ने इसमें योगदान दिया.

By KumarVishwat Sen | March 3, 2023 4:27 PM

नई दिल्ली : भारत में सेवा क्षेत्र की गतिविधियां फरवरी महीने के दौरान 12 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गईं. एक सर्वेक्षण में शुक्रवार को बताया गया कि मांग की अनुकूल स्थिति और नये व्यावसायिक सौदों से क्षेत्र को बढ़त मिली. मौसमी रूप से समायोजित एसएंडपी ग्लोबल भारत सेवा पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक जनवरी में 57.2 से बढ़कर फरवरी में 59.4 हो गया. यह इसका 12 सालों का उच्चतम स्तर है.

सेवा पीएमआई का सूचकांक लगातार 19वें महीने 50 से ऊपर बना हुआ है. खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब है कि गतिविधियो में विस्तार हो रहा है, जबकि 50 से कम अंक संकुचन को दर्शाता है.

एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में अर्थशास्त्र की संयुक्त निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि सेवा क्षेत्र ने जनवरी में खोई हुई वृद्धि गति को फिर से हासिल किया और 12 वर्षों में उत्पादन में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की. मांग में लचीलापन और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण ने इसमें योगदान दिया. एसएंडपी ग्लोबल इंडिया सेवा पीएमआई को सेवा क्षेत्र की लगभग 400 कंपनियों के बीच किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया जाता है.

एसएंडपी ग्लोबल इंडिया ने कहा कि नौकरियों में मामूली रूप से बढ़ोतरी हुई है, लेकिन कार्य क्षमता पर हल्का दबाव बना रहा. लागत दबावों में कमी आने से मदद मिली. एसएंडपी ग्लोबल इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी में उपभोक्ता सेवाएं सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला क्षेत्र रहा. नए ऑर्डर में सबसे तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई और निगरानी वाले चार उपक्षेत्रों की व्यावसायिक गतिविधियों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई.

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हालांकि, भारतीय सेवा प्रदाताओं ने अंतिम वित्तीय तिमाही के मध्य में अपने खर्चों में और वृद्धि का संकेत दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, इनपुर मूल्य मुद्रास्फीति की दर 29 महीने के निचले स्तर पर आ गई है. आम तौर पर कंपनियां भोजन, उपभोक्ता वस्तु, परिवहन और मजदूरी लागत का हवाला देती हैं. केवल 4 फीसदी सेवा कंपनियों ने लागत में वृद्धि को अपने ग्राहकों पर स्थानांतरित किया है, जबकि काफी संख्या में कंपनियों ने बिक्री मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया.

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