Satellite Spectrum: संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया है कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं होगी बल्कि इसे आवंटित किया जाएगा. मुकेश अंबानी और सुनील मित्तल जैसी प्रमुख उद्योग हस्तियां स्पेक्ट्रम की नीलामी की मांग कर रहे थे जबकि एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक इसका प्रशासनिक आवंटन चाहती है.
सिंधिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम को मुफ्त में नहीं दिया जाएगा और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) इसकी कीमत तय करेगा. उन्होंने कहा “हर देश को अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के दिशा-निर्देशों का पालन करना पड़ता है जो अंतरिक्ष में स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए नीति तय करता है. आईटीयू ने हमेशा स्पेक्ट्रम के आवंटन को ‘असाइनमेंट’ के आधार पर करने की सिफारिश की है और मुझे ऐसा कोई देश नहीं मिला जो उपग्रहों के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी करता हो.”
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भारत अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ का सदस्य है और मस्क की स्टारलिंक और अमेज़न के प्रोजेक्ट कुइपर जैसे वैश्विक प्रतिस्पर्धी प्रशासनिक आवंटन का समर्थन कर रहे हैं. वहीं अंबानी की रिलायंस जियो और सुनील मित्तल की भारती एयरटेल का कहना है कि नीलामी के बिना स्पेक्ट्रम का आवंटन असमान प्रतिस्पर्धा पैदा करेगा क्योंकि उन्हें अपने स्थलीय नेटवर्क के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी के माध्यम से प्राप्त करना पड़ता है.
सिंधिया ने यह भी बताया कि दिसंबर में पारित दूरसंचार अधिनियम 2023 के तहत सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का प्रशासनिक आवंटन होगा जो सरकार द्वारा निर्धारित कीमत पर किया जाएगा. इससे स्टारलिंक जैसी विदेशी कंपनियों को भारत में वॉयस और डेटा सेवाएं देने की अनुमति मिलेगी. यदि नीलामी होती तो इन कंपनियों के लिए भारत में सेवाएं शुरू करना महंगा हो जाता.
सिंधिया ने यह भी कहा कि सरकार किसी भी विदेशी कंपनी के आवेदन पर विचार करने के लिए तैयार है जो भारत में निवेश करना चाहती है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कुछ लाइसेंस पहले ही जारी किए जा चुके हैं और जो भी कंपनियां भारत में प्रवेश करना चाहती हैं, उनका स्वागत किया जाएगा.
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