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सऊदी अरब ने कंगाल देशों को कर्ज देने से किया इनकार, पाकिस्तान में खलबली के आसार

सऊदी अरब अब भी दूसरे देशों को पैसा भेज रहा है, लेकिन अब वह उन्हीं देशों को पैसा देगा, जहां से उसे फायदा होगा. सऊदी अरब अब मुनाफे के लिए किसी देश में निवेश करेगा या उसे पैसा देगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 7, 2023 6:07 PM

नई दिल्ली : कमाई में कमी आने के बाद सऊदी अरब के सुल्तान मोहम्मद बिन सलमान ने कर्ज देने के मामलों में नियमों में बदलाव करते हुए कंगाल देशों से दूरी बनाने का फैसला किया है. यूक्रेन युद्ध की वजह से तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के बाद सऊदी अरब के पास 2022 में 28 अरब डॉलर का बजट अधिशेष बचा हुआ था. इसके बावजूद, सऊदी अरब कंगाल देशों को कर्ज देने के मामले में सख्ती बरत रहा है. अब जबकि सऊदी अरब के सुल्तान ने कंगाल देशों को कर्ज देने के नियमों में बदलाव कर दिया है, तो पाकिस्तान, मिस्र और लेबनान जैसे देशों की सरकारों में खलबली मचने के आसार अधिक हैं. खासकर, पाकिस्तान में तो बहुत अधिक आसार हैं, क्योंकि फिलहाल वह ऐतिहासिक आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है कि चीन समेत वैश्विक वित्तीय संस्था उसे कर्ज देने से मुंह मोड़ रहे हैं.

अब फायदे के लिए निवेश करेगा सऊदी अरब

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब अब भी दूसरे देशों को पैसा भेज रहा है, लेकिन अब वह उन्हीं देशों को पैसा देगा, जहां से उसे फायदा होगा. बताया जा रहा है कि सऊदी अरब अब मुनाफे के लिए किसी देश में निवेश करेगा या उसे पैसा देगा. खबर यह भी है कि सऊदी अरब अपने यहां इलेक्ट्रॉनिक वाहन उद्योग जैसी उद्यमों को बढ़ावा देना चाहता है.

अब बिना शर्त के कर्ज नहीं दिया जाएगा

इस साल की शुरुआत में ही सऊदी अरब के वित्त मंत्री मोहम्मद अल जदान ने दावोस में कहा था कि पहले सऊदी बिना किसी शर्त के ही किसी भी गरीब देश को सीधे मदद करता था, लेकिन अब ये देश इसे बदलकर बहुपक्षीय संस्थाओं के साथ काम करने के कारण इसमें सुधार करने पर ध्यान दे रहा है.

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तेल पर निर्भरता होगी कम

मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब के सुल्तान मोहम्मद बिन सुल्तान ने अपने पिता के बाद सत्ता का सिंहासन संभालने के बाद देश को तेल पर निर्भरता कम करने की कोशिश की है. अब उनका प्रयास देश को कारोबारी ओर सांस्कृतिक हब बनाने की है. वे अब अपने सहयोगी देश संयुक्त अरब अमीरात और कतर के मॉडल की तर्ज पर अपने देश में नियमों को लागू करने के प्रयास में जुटे हैं, ताकि वैश्विक समुदाय में सऊदी अरब का प्रभाव बढ़े.

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