देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) और आइडीएफसी फर्स्ट बैंक ने अपने ग्राहकों को यूपीआइ के जरिये डिजिटल करेंसी (ई-रुपी) भुगतान सुविधा प्रदान कर दी है. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) यानी डिजिटल करेंसी को लेकर दोनों बैंकों ने यूपीआई क्यूआर कोड स्कैन सेवा की शुरुआत कर दी है. इसे यूपीआइ इंटरऑपरेबिलिटी नाम दिया गया है.
ई-रुपी बाय एसबीआइ’ एप से मिलेगी यह सुविधा
एसबीआइ ने एक बयान में सोमवार को कहा कि वह अपने ग्राहकों के लिए यूपीआइ इंटरऑपरेबिलिटी लागू कर रहा है. इस सुविधा के जरिये ग्राहक यूपीआइ क्यूआर कोड के इस्तेमाल से डिजिटल करेंसी से भुगतान कर सकेंगे. एसबीआइ के अनुसार इस कदम के साथ बैंक का लक्ष्य अपने ग्राहकों को इस अभूतपूर्व सुविधा और पहुंच प्रदान करना है. बैंक ने कहा कि ‘ई-रुपी बाय एसबीआइ’ एप से यह सुविधा एसबीआइ सीबीडीसी यूजर्स को तेज और सुरक्षित लेनदेन के लिए किसी भी व्यापारी के यूपीआइ क्यूआर कोड को आसानी से स्कैन करने में सक्षम बनायेगी.
भुगतान में होगी आसानी
आइडीएफसी फर्स्ट बैंक ने एक बयान में कहा कि यह खुदरा उपयोगकर्ताओं के लिए रिजर्व बैंक की सीबीडीसी पहल का हिस्सा हैं. ऐसे में यह नयी सुविधा व्यापारियों के लिए भुगतान मंजूरी को सरल बनायेगी. वे डिजिटल रुपये से किये गये भुगतान को आसानी से स्वीकार कर सकेंगे. बयान में आगे कहा गया कि व्यापारियों के मौजूदा यूपीआइ क्यूआर कोड के जरिये ही डिजिटल रुपये का उपयोग करके आसानी से भुगतान किया जा सकता है.
एचडीएफसी बैंक ने सबसे पहले शुरू की है यह सुविधा
एचडीएफसी बैंक अपने व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए इंटरऑपरेबल क्यूआर कोड उपलब्ध कराने वाला भारत का पहला बैंक था. इसके बाद केनरा बैंक, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, कोटक महिंद्रा बैंक और यस बैंक भी यह सुविधा अपने ग्राहकों के लिए शुरू कर चुके हैं. अब इस तरह की सुविधा प्रदान करनेवाले बैंकों की संख्या आठ हो गयी है.
डिजिटल रुपये का बढ़ेगा इस्तेमाल
क्यूआर कोड इंटरऑपरेबिलिटी ग्राहकों और व्यापारियों के बीच तेज लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है. यूपीआइ या डिजिटल वॉलेट के जरिये भुगतान स्वीकार करते समय दुकानें केवल एक क्यूआर कोड प्रदर्शित कर सकेंगी. इससे दैनिक लेनदेन में डिजिटल रुपये का उपयोग करना आसान हो जायेगा.
केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी को जानें
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) डिजिटल रुपया या ई-रुपी को वैध मुद्रा (करेंसी) के रूप में जारी करता है. यह कागजी मुद्रा का डिजिटल स्वरूप है. इसका मूल्य भी करेंसी के बराबर होता है. इसको मोबाइल वालेट में रखा जा सकता है. ई-रुपी डिजिटल मोड में सुरक्षा के साथ तेजी से ट्रांजैक्शन करता है. इसका उपयोग लेनदेन करने या मूल्य को डिजिटल रूप से उसी तरह रखने के लिए किया जा सकता है, जैसे वास्तविक नकद नोट करते हैं.
पिछले साल आरबीआइ ने शुरू किया था सीबीडीसी
केंद्रीय बैंक ने डिजिटल रुपये (सीबीडीसी) का पहला पायलट 31 अक्तूबर, 2022 को थोक खंड में लॉन्च किया था. इसमें नौ बैंकों को प्रतिभागियों के रूप में शामिल किया गया था. इनमें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ), बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आइसीआइसीआइ बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आइडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी शामिल हैं. इसके एक महीने बाद, आरबीआइ ने खुदरा क्षेत्र के लिए भी पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया. खुदरा डिजिटल रुपया (ई-रुपी या e₹) का उपयोग दिन-प्रतिदिन के लेनदेन के लिए किया जा सकता है. खुदरा क्षेत्र के पायलट प्रोजेक्ट में आठ बैंक भाग ले रहे हैं. वे हैं एसबीआइ, आइसीआइसीआइ बैंक, यस बैंक, आइडीएफसी फर्स्ट बैंक, बीओबी, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक हैं.
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