केंद्र सरकार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित 6 बैंकों की हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है. इन बैंकों की हिस्सेदारी एक साल से डेढ़ साल के बीच बेचा जा सकता है. हालांकि यह अभी तय नहीं हुआ है कि कितनी हिस्सेदारी बेचा जाएगा.
बिजनेस स्टैंडर्ड ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया है कि छह बड़े सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी बेचा जाए. अखबार ने बताया कि हिस्सेदारी 51% तक हो सकती है. वहीं बताया जा रहा है कि अलग-अलग बैंकों की हिस्सेदारी अलग अलग हो सकती है.
इन बैंकों का बेचा जाएगा शेयर- अखबार ने बताया कि रिजर्व बैंक के प्रस्ताव में एसबीआई, पीएनबी, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, कैनरा बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा शामिल है. हालांकि सरकार ने अभी तक इसपर कोई बयान नहीं दिया है. वहीं बताया जा रहा है कि सरकार ने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक रिस्पांस दिया है.
7 बैंकों को भी बेचने की है तैयारी- इससे पहले, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि केंद्र सरकार निजीकरण के क्षेत्र में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए 7 सरकारी बैंक की हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है. सरकारी सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ने के कारण देश इस वक्त फंड की कमी से जूझ रही है. ऐसे में सरकार ने इन बैंकों की हिस्सेदारी बेचने की रणनीति बनाई है.
मर्जर का का ऑप्शन का खत्म- सरकारी सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि केंद्र सरकार के पास बैंकों के मर्जर का विकल्प पर पहले ही विराम लगा चुका है. ऐसे में अब किसी भी सरकारी बैंक का मर्जर नहीं हो सकता है. सूत्रों ने समाचार एजेंसी को बताया कि देश में बैंक विलय का ऑप्शन खत्म हो चुका है, जिसके कारण अब सरकार के पास कोई नया ऑप्शन नहीं है. ऐसे में सरकार हिस्सेदारी बेचने पर रणनीति बना रही है.
गौरतलब है कि सितंबर 2019 के अंत में भारतीय बैंकों के पास पहले से ही 9.35 ट्रिलियन रुपये (124.38 बिलियन डॉलर) का कर्ज है जो उनकी कुल संपत्ति का लगभग 9.1% है. आने वाले समय में यह बढ़ भी सकता है.
Posted By : Avinish Kumar Mishra
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