SBI : स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने एक मीडिया इंटरव्यू में बताया कि खुदरा निवेशकों को डेरिवेटिव बाजार में भाग लेने से रोकने से बैंकिंग प्रणाली में जमा राशि को बढ़ावा मिल सकता है. उनका यह भी मानना है कि हाल ही में पूंजीगत लाभ कर में किए गए बदलावों से जमा वृद्धि पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. खारा F&O ट्रेडिंग में आम लोगों की भागीदारी को सीमित करने के विनियामकों के सुझाव का समर्थन किया. उन्होंने सुझाव दिया कि इन निवेशकों को अपने निवेश को वापस बैंकिंग में ले जाने पर विचार करना चाहिए.
डेरिवेटिव ट्रेडिंग से बढ़ रहीं है दिक्कतें
भारत में अधिकांश निवेशक डेरिवेटिव ट्रेडिंग में घाटे का सामना कर रहे हैं. लोग long term निवेश के बजाय जोखिम भरे सट्टेबाजी पर पैसे बर्बाद कर रहे हैं. खुदरा निवेशकों को सट्टेबाजी गतिविधियों में 52,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इस कारण सख्त नियमों की मांग उठ रही है. सेबी ने इस मुद्दे से निपटने के लिए सात-सूत्रीय रणनीति बनाई है, और सरकार ने इस समस्या को दूर करने के लिए हाल के बजट में उपाय पेश किए हैं.
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लोन देने में हिचकिचा रहे हैं bank
दिनेश कुमार खारा ने ब्याज कमाने के लिए परिवारों को अपने बचत बैंक खाते में जमा करने के महत्व पर जोर दिया. 2011 में, ऋण जमा की तुलना में तेजी से बढ़ रहे थे, जिससे दोनों के बीच असमानता के बारे में चिंताएं पैदा हुईं और बैंकों को ऋण देने में सावधानी बरतनी पड़ी. यह संभावित रूप से समग्र आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकता है. 20 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी वाले एसबीआई ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 15 प्रतिशत ऋण वृद्धि और आठ प्रतिशत जमा वृद्धि का लक्ष्य रखा है, और बैंक वर्तमान में जमा वृद्धि को 10 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य बना रहे हैं.
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