मुंबई : देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को ऋण अधिस्थगन को लेकर मोहलत देने का फैसला किया है. एसबीआई बोर्ड की बुधवार को हुई बैठक में सर्वसम्मति से एनबीएफसी को मोहलत देने की अनुमति दी गयी है. बैंक की ओर से उठाये गये इस कदम के और देश के सार्वजनिक क्षेत्र के दूसरे बैंकों के लिए भी रास्ता साफ हो जाएगा, ताकि ऋणदाताओं को भी इसका लाभ मिल सके.
टाइम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर प्रकाशित समाचार के अनुसार, रिजर्व बैंक ने एनबीएफसी को बैंकों द्वारा दिये गये ऋणों पर तीन महीने तक अधिस्थगन विस्तार की घोषणा कर दी है, लेकिन एसबीआई समेत अन्य बैंकों ने इसे विस्तार देने से इनकार कर दिया था. कर्जदाता बैंकों ने उस समय कहते हुए अधिस्थगन को विस्तार देने से मना कर दिया था कि एनबीएफसी के बड़े कर्जदारों ने अधिस्थगन विस्तार का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया है.
इस मामले में एसबीआई ने अपना तर्क देते हुए कहा है कि गैर-वित्तीय कंपनियों की तुलना में एनबीएफसी पूरी तरह से लॉकडाउन की चपेट में नहीं आयी है, क्योंकि लॉकडाउन में भी एनबीएफसी के कुछ कर्जदार अपने बैंक ऋण भुगतान कर रहे हैं.
बैंक ने यह भी कहा कि इसमें यह पता लगाना मुश्किल था कि एनबीएफसी द्वारा ऋणों का कितना भुगतान किया जा रहा है. इसके अलावा, कुछ बैंक के कार्यकारियों को इस बात की भी चिंता थी कि एनबीएफसी के ज्यादातर प्रमोटर वे कैश फ्लो के लाभ को अपने अन्य व्यवसायों में इस्तेमाल करने से रोक सकते हैं या फिर बॉन्ड बाजार की तरह अन्य उधारियों का भुगतान कर सकते हैं.
एक बैंक के कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि इन्हीं कठिनाइयों की वजह से एनबीएफसी को अब तक अधिस्थगन से बाहर रखा गया था, लेकिन अब स्थिति बहुत खराब हो गयी है. इसलिए अब यह समझा जा रहा है कि एनबीएफसी को बचाए रखने के लिए उसे अधिस्थगन की आवश्यकता है. इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के आदेश में सभी को ऋण भुगतान से मोहलत देने की बात कही गयी है. इसका अर्थ यह है कि इससे अब एनबीएफसी को वंचित नहीं किया जा सकता.