नयी दिल्ली : देश में कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए बीते 25 मार्च से लागू लॉकडाउन के दौरान देश के बैंकों ने अपने-अपने ग्राहकों को आर्थिक सहूलियत देने के लिए भले ही तीन महीने तक ईएमआई टाल दिया हो या फिर लोन पर इंट्रेस्ट रेट कम कर दिया हो, लेकिन उन्होंने मुनाफे पर जोरदार तरीके से कैंची चलायी है. यानी की बैंकों ने सेविंग्स पर मिलने वाली ब्याज दरों में दूसरी बार कटौती की है. खासकर देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने लॉकडाउन के दौरान अपने ग्राहकों को दूसरी बार झटका देते हुए फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज की दरों में कटौती की है. बैंक के इस कदम से उन ग्राहकों को सबसे अधिक नुकसान होने के आसार हैं, जो अपने सेविंग्स को फिक्स्ड डिपॉजिट में तब्दील करवा देते थे.
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सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई ने 3 साल की अवधि तक की फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज दरों में 0.20 फीसदी तक कटौती करने का फैसला किया है. बैंक की तरफ से तय गयीं नयी दरें आगामी 12 मई से लागू होंगी. इससे पहले बैंक ने लॉकडाउन 1.0 शुरू होने के महज तीन बाद यानी 28 मार्च को फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज दरों में कटौती की थी. उस समय उसने 2 करोड़ रुपये से कम की रिटेल फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर को 0.50 फीसदी तक घटाया था.
एसबीआई की वेबसाइट के आधार पर मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, फिलहाल 2 करोड़ रुपये से कम की रिटेल डोमेस्टिक टर्म डिपॉजिट में 7 से 45 दिन की डिपॉजिट पर ब्याज दरें 3.5 फीसदी है. इसी तरह, 46 से 179 दिन की डिपॉजिट पर ब्याज दरें 4.5 फीसदी, 180 दिन से 210 दिन की अवधि वाले फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें 5 फीसदी हैं. इसके अलावा, 211 दिन से 1 साल से कम की अवधि वाले फिक्स्ड डिपॉजिट पर मौजूदा रेट 5 फीसदी निर्धारित की गयी है, जबकि 1 साल से लेकर 10 साल तक अवधि पर ग्राहकों को 5.7 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है.
बता दें कि देश के सबसे बड़े बैंक ने केवल लॉकडाउन के दौरान फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज में दो बार कटौती की है. वहीं, इस बैंक ने बीते दो महीने के दौरान तीसरी बार फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरों को कम करने का फैसला लिया है. दरअसल, भारत में ब्याज दरों से एक निश्चित आमदनी के लिए बड़े पैमाने पर फिक्स्ड डिपॉजिट किया जाता है.
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