नयी दिल्ली : देश में लॉकडाउन के दौरान आम लोगों ने खर्च करने से ज्यादा सेविंग पर जोर दिया. ये खुलासा एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट में हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन 1.0 दौरान लोगों ने सबसे अधिक टर्म डिपॉजिट, सेविंग और करंट में बचत किया गया. हालांकि लॉकडाउन 2.0 के दौरान लॉकडाउन 1.0 के मुकाबले यह कम होता गया.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गये लॉकडाउन में लोगों में खर्च को लेकर अनिश्चितता थी, जिसके कारण वे बैंक के जरिए सेविंग करने में जुट गये. हालांकि जैसे जैसे लॉकडाउन बढ़ता गया लोग सेविंग पैसे पर निर्भर होने लगे और बैंक से जमा राशि निकालने लगे.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि लॉकडाउन 1.0 (25 मार्च से 14 अप्रैल) के दौरान खाताधारकों के सेविंग्स, करंट और टर्म डिपॉजिट में बढ़ोत्तरी देखी गई, लेकिन लॉकडाउन 2.0 के दौरान सिर्फ टर्म डिपॉजिट में बढ़ोतरी हुई. बाकी के सेविंग्स और करंट अकाउंट से लोग पैसा निकालने लगे. बताया जा रहा है कि इस दौरान तकरीबन 25 फीसदी की कमी सेविंग्स और करंट बचत खाते में देखी गई.
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रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि लॉकडाउन 3 में लागू होने के बाद स्थिति और अधिक गंभीर हो गई. इस दौरान बैंक टर्म डिपॉजिट में भी गिरावट आई. क्योंकि बैंक डिपॉजिट्स में बढ़ोत्तरी के बजाय गिरावट दर्ज की गई. लोग जमा राशि पर ही निर्भर होने लगे. लॉकडाउन 1.0 में जो राशि जमा थी, वो उसमे लॉकडाउन 3.0 कै दौरान 12 फीसदी की कमी आई.
एसबीआई ने एफडी की ब्याज दरों में की कटौती- लॉकडाउन के दौरान बैंक एसबीआई ने 3 साल की अवधि तक की फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज दरों में 0.70 फीसदी तक कटौती कर दी. बैंक ने यह कटौती दो बार में की. एक बार लॉकडाउन 1.0 के दौरान और दूसरा लॉकडाउन 3.0 के दौरान.
पेटीएम के बजट अकाउंट में 600 करोड़ जमा- इससे पहले, पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड ने बताया था कि लॉकडाउन के दौरान उसने फिक्स्ड डिपॉजिट में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है. अपने पार्टनर इंडसइंड बैंक की साझेदारी के साथ उसके एफडी अकाउंट्स की राशि 600 करोड़ को पार कर गई है.
Posted By : Avinish kumar Mishra
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