Sebi Intraday Trading Settlement Plan: बाजार नियामक सेबी (SEBI) के द्वारा जल्द इंट्राडे ट्रेडिंग के नियमों में बदलाव किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि सेबी इंट्राडे ट्रेडिंग में सेटलमेंट सिस्टम लाने पर विचार कर रहा है. इसे निवेशकों को बाजार में बड़ी सुविधा होने की संभावना जतायी जा रही है. वर्तमान में भारतीय बाजार में T+1 ट्रेडिंग सिस्टम लागू है. इस सिस्टम के तहत अगर निवेशक बाजार में शेयर खरीदता है और उसके अगले दिन शेयर डीमैट में आ जाता है तो निवेशक के शेयर बेचने पर अकाउंट में पैसा आने में ट्रेडिंग प्लस एक दिन का समय लगता है. इसमें सिमित पूंजी में व्यापार करने वाले निवेशकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. उन्हें पैसा वापस पाने के लिए एक दिन का इंतजार करना पड़ता है.
दिसंबर तक जारी होगा परामर्श पत्र
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की प्रमुख माधबी पुरी बुच ने कहा कि पूंजी बाजार नियामक पूरी तरह से नया ढांचा पेश करने पर गौर कर रहा है जिसमें उद्योग स्वयं नियमों को लागू करने के तरीके विकसित करेगा. इससे उद्योग को नये विधान को लागू करने में आसानी होगी. उन्होंने सूचीबद्धता समाप्त करने की प्रक्रिया की समीक्षा की भी घोषणा की और दिसंबर तक परामर्श पत्र जारी करने की बात कही. इसका उद्देश्य कंपनियों के लिये इस तरह के कदम उठाना आसान बनाना है. नियमों के नये ढांचे के बारे में बुच ने कहा कि सेबी को प्रतिभागियों की तरफ से नियामक की तरफ से घोषित नियमों के क्रियान्वयन में होने वाली कठिनाइयों को लेकर बार-बार प्रतिक्रिया मिली है. इसी को देखते हुए इस पायलट परियोजना पर विचार किया गया है.
नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ की तरह होगा: सेबी
सेबी प्रमुख माधबी पुरी ने कहा कि यह नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ की तरह होगा. यह व्यवस्था संभावित नियमों के लिये होगी और अगर उद्योग कुछ चुनौतियों को लेकर आता है, मौजूदा नियमन में इसका उपयोग किया जा सकता है. नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ वित्तीय क्षेत्र के नियामक की तरफ से स्थापित एक ढांचा है. यह नियामक की देखरेख में नियंत्रित परिवेश में निजी कंपनियों के नवोन्मेष के छोटे पैमाने पर ‘कामकाज के स्तर पर परीक्षण’ की अनुमति देता है. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था नियमों के क्रियान्वयन में उद्योग की मदद के लिये है. इसके कारण किसी नियम को टाला नहीं जाएगा. सेबी प्रमुख ने कहा कि म्यूचुअल फंड में केवल 40 कंपनियां काम कर रही हैं. इसे उद्योग संगठन एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्य इन इंडिया के जरिये ऐसे नियमों के लिये लागू किया जा सकता है. लेकिन सूचीबद्ध कंपनियों के लिये व्यापक स्तर पर इसे क्रियान्वित करना मुश्किल होगा.
सेबी ने उद्योग मंडल को लिखा पत्र
सेबी ने उद्योग मंडल सीआईआई, फिक्की, भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई), इंस्टिट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (आईसीएसआई) के साथ निफ्टी 50 में शामिल कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों को प्रस्तावित नियामकीय सैंडबॉक्स के बारे में पत्र लिखा है. बुच ने कहा कि उद्योग को अपना मानक स्वयं तैयार करना चाहिए और उसे क्रियान्वित करने से पहले सेबी के साथ साझा करना चाहिए.
क्या है सेबी
SEBI का मतलब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड है. यह भारत में प्रतिभूति बाजारों की देखरेख के लिए जिम्मेदार नियामक प्राधिकरण है. सेबी की स्थापना 12 अप्रैल 1992 को एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी और यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में संचालित होता है. सेबी का प्राथमिक उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और प्रतिभूति बाजार के विकास और विनियमन को बढ़ावा देना है. सेबी को स्टॉक एक्सचेंजों, दलालों, व्यापारी बैंकरों और अन्य मध्यस्थों सहित प्रतिभूति बाजार के विभिन्न क्षेत्रों को विनियमित करने और देखरेख करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. सेबी प्रतिभूति बाजार में निष्पक्ष और पारदर्शी लेनदेन सुनिश्चित करके निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए काम करता है. यह निवेशक जागरूकता और शिक्षा बढ़ाने के उपायों को बढ़ावा देता है. सेबी विभिन्न बाजार मध्यस्थों, जैसे स्टॉकब्रोकर, पोर्टफोलियो प्रबंधक, निवेश सलाहकार और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को पंजीकृत और विनियमित करता है.
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