मुंबई : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने अदाणी-हिंडनबर्ग के मुद्दे पर साफ कहा कि इस मामले में नियामक किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं करेगा, क्योंकि यह अभी अदालत के अधीन है. अदाणी ग्रुप पर अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पैदा हुए विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. सर्वोच्च अदालत ने सेबी को जांच करने का निर्देश दिया है कि इसमें क्या नियामकीय नियमों की धारा 19 का उल्लंघन किया गया है और शेयरों में किसी प्रकार की हेराफेरी की गई है?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का करेंगे पालन
सेबी निदेशक मंडल की बैठक के बाद माधवी पुरी बुच ने कहा कि हम कंपनी विशेष मामलों पर कभी टिप्पणी नहीं करते हैं और इससे भी ऊपर यह मामला सर्वोच्च अदालत के सामने है. हम कभी भी उप-न्यायिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट की सलाह का पालन करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने जो कुछ भी है, उसका पालन करने के लिए हम कर्तव्यबद्ध हैं. इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि सर्वोच्च अदालत ने सेबी को निर्देश दिया है कि वह समिति को सटीक रूप से अपडेट दे और इस मामले पर टिप्पणी करना अनुचित होगा.
अदाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिसर्च का आरोप
बता दें कि इस साल की शुरुआत में 24 जनवरी, 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर शेयरों में हेराफेरी और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था. रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद पिछले कुछ हफ्तों में अदाणी ग्रुप की अधिकांश कंपनियों के शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है. उधर, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के जवाब में अदाणी ग्रुप ने अमेरिकी कंपनी को एक अनैतिक शॉर्ट सेलर बताते हुए पलटवार किया था और उसने कहा था कि रिपोर्ट झूठ के अलावा कुछ नहीं है. ग्रुप के शेयरों में लगातार बिकवाली के कारण इसकी प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज ने अपने 20,000 करोड़ के आईपीओ को रद्द कर दिया.
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शेयर ब्रोकर की धोखाधड़ी पर लगाम लगाएगा सेबी
इसके साथ ही, सेबी ने बुधवार को बाजार व्यवस्था तथा कंपनी संचालन को और बेहतर बनाने के लिए कई प्रस्तावों को मंजूरी दी. इसमें लोगों के सूचीबद्ध कंपनियों के निदेशक मंडल में स्थायी रूप से बने होने के चलन को समाप्त करना तथा शेयर ब्रोकरों की धोखाधड़ी पर लगाम लगाने को लेकर नियम शामिल हैं. सेबी के निदेशक मंडल की बुधवार को हुई बैठक में इन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है. नियामक ने निजी इक्विटी कोष को म्यूचुअल फंड का प्रायोजक बनने की नियामकीय रूपरेखा को भी मंजूरी दी. इस कदम से म्यूचुअल फंड को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के लिए पर्यावरण, सामाजिक और संचालन (ईएसजी) के बारे में खुलासों को लेकर नियामकीय व्यवस्था को मंजूरी दी.
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