नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सेबी से कहा कि फ्रैंकलिन टेंपलटन की 6 म्यूचुअल फंड योजनाओं को बंद करने के बारे में दिसंबर के अंतिम सप्ताह में होने वाली ई-वोटिंग प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाए. शीर्ष अदालत ने कहा कि उसका तीन दिसंबर का वह आदेश अभी लागू रहेगा, जिसमें उसने निर्देश दिया है कि फिलहाल यूनिट धारकों को उनके यूनिटों की रकम के भुगतान पर लगी रोक बनी रहेगी.
न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस निर्देश के साथ ही इस मामले को जनवरी के तीसरे सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया है. शीर्ष अदालत कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ फ्रैंकलिन टेंपलटन की अपील पर सुनवाई कर रही थी. हाईकोर्ट ने निवेशकों की पूर्व सहमति के बगैर ही इन योजनाओं को बंद करने से फ्रैंकलिन टेंपलटन को रोक दिया था.
सुनवाई शुरू होते ही सेबी की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि इस मामले में सेबी द्वारा दायर अपील बुधवार को सूचीबद्ध नहीं हुई है. मेहता ने जब अदालत से अनुरोध किया कि सेबी की अपील एक दो दिन के भीतर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाए, तो पीठ ने कहा, ‘हम इस मामले को जनवरी महीने में सूचीबद्ध कर सकते हैं.’
फ्रैंकलिन टेंपलटन ने सात दिसंबर को कहा था कि उसने 6 फिक्स्ड इनकम स्कीम्स को व्यवस्थित तरीके से बंद करने के लिए यूनिट धारकों की सहमति मांगी है. उसका कहना था कि इसके लिए 26-28 दिसंबर को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग होगी और 29 दिसंबर को संबंधित योजनाओं के यूनिट धारकों की बैठक होगी.
अदालत ने तीन दिसंबर को फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड से कहा था कि वह इन 6 योजनाओं को बंद करने के लिए यूनिट धारकों की सहमति लेने के लिए एक सप्ताह में बैठक बुलाने के लिए कदम उठाने की प्रक्रिया शुरू करे. पीठ ने टिप्पणी की थी कि यह एक बड़ा मुद्दा है और लोग अपना पैसा वापस चाहते हैं.
अदालत ने पिछले सप्ताह अपने आदेश में कहा था कि इस दौरान सभी पक्षकारों के हितों को प्रभावित किये बगैर ही ट्रस्टीज को यूनिट धारकों की सहमति लेने के लिए उनकी बैठक बुलाने की अनुमति दी जाती है. इस संबंध में आज से एक सप्ताह के भीतर आवश्यक कदम उठाये जाएंगे.
सेबी ने अदालत से कहा था कि इन योजनाओं के समापन मे उसकी कोई भूमिका नहीं है, लेकिन उसने इस संबंध में रिजर्व बैंक को लिखा था. कर्नाटक हाईकोर्ट ने 24 अक्टूबर ने कहा था कि इन 6 योजनाओं को बंद करने का फ्रैंकलिन टेंपलटन ट्रस्टी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड का फैसला यूनिट धारकों की सहमति के बगैर लागू नहीं किया जा सकता.
कंपनी की इन 6 योजनाओं में फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनेमिक एक्यूरल फंड, फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम अपॉर्चुनिटीज फंड शामिल हैं. फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड ने बांड बाजार में तरलता के अभाव और बाजार के दबाव का हवाला देते हुए 23 अप्रैल को इन छह योजनाओं को बंद कर दिया था.
Posted By : Vishwat Sen
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