केंद्र और राज्यों के तालमेल से ही जीएसटी के दायरे में आ सकते हैं पेट्रोल-डीजल, आर्थिक मामलों के सचिव ने कही ये बात
आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज ने गुरुवार को कहा कि जब तक केंद्र और राज्य साथ नहीं आएंगे और सारे मुद्दों का समाधान नहीं कर लेते, इसको जीएसटी में लाना संभव नहीं होगा. जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और राजस्व बढ़ेगा इस विषय का हल निकाला जा सकता है.
नई दिल्ली : देश में आसमान छू रहे पेट्रोल-डीजल की कीमतों के बीच पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) के दायरे में लाने के लिए लंबे समय से मांग की जा रही है. हालांकि, खबर यह भी है कि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की खातिर केंद्र सरकार ने मन बना भी लिया है, लेकिन राज्यों की ओर से लगातार इनकार किए जाने की वजह से इन्हें इस दायरे में नहीं लाया जा रहा है. इस बीच, पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज ने गुरुवार को कहा है कि राज्यों और केंद्र सरकार के आपसी तालमेल के बिना पेट्रोल-डीजल समेत तमाम पेट्रोलिय उत्पादों को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जा सकता.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज ने गुरुवार को कहा कि जब तक केंद्र और राज्य साथ नहीं आएंगे और सारे मुद्दों का समाधान नहीं कर लेते, इसको जीएसटी में लाना संभव नहीं होगा. जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और राजस्व बढ़ेगा इस विषय का हल निकाला जा सकता है.
आर्थिक मामलों के सचिव ने आगे कहा कि मार्च में रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन के दो मुख्य कारण हैं, अर्थव्यवस्था अब थोड़ा ऊपर चलना शुरू हुई है और तकनीक में सुधार होने से अनुपालन में बेहतरी हुई है. हम उम्मीद करते हैं कि आगे भी ऐसे की राजस्व आता रहेगा.
बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान जहां एक ओर पेट्रोलियम उत्पादों में प्रमुखता से शामिल पेट्रोल-डीजल की मांग में गिरावट दर्ज की गई है. खबर है कि कोरोना महामारी के दौरान पिछले एक साल से लोगों ने पेट्रोल-डीजल का इस्तेमाल कम कर दिया है, लेकिन पिछले मार्च महीने में इन दोनों पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री में बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है.
राज्य खुदरा विक्रेताओं द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, देश की तीन प्रमुख पेट्रोलियम कंपनियां (इंडियन ऑयल कॉर्प, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प और भारत पेट्रोलियम) का भारत के खुदरा ईंधन आउटलेट में करीब 90 फीसदी हिस्सा हैं. इन तीनों पेट्रोलियम कंपनियों ने पिछले महीने 2.47 मिलियन टन गैसोलीन की बिक्री की है, जो आर्थिक विकास का एक संकेत है और यह भारत में ईंधन की कुल बिक्री का लगभग 40 फीसदी है, जो मार्च में बढ़कर 6.41 मिलियन टन हो गया था.
आंकड़ों के अनुसार, सरकार द्वारा ईंधन के लिए सब्सिडी कम करने से सरकार के खुदरा विक्रेताओं की बिक्री में पिछले महीने पेट्रोलियम गैस या रसोई गैस की बिक्री में 1.2 फीसदी से 2.26 मिलियन टन की गिरावट आई. जेट ईंधन की बिक्री भी 4.4 फीसदी घटकर 437,000 टन रही गई है.
Posted by : Vishwat Sen
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