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हिंडनबर्ग मामले में सीनियर वकील महेश जेठमलानी का बड़ा खुलासा, खोली मास्टरमाइंड की पोल

Hindenburg Research: हिंडनबर्ग रिसर्च मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. सीनियर वकील महेश जेठमलानी ने इसे छोटा खिलाड़ी बताया और इसके पीछे जॉर्ज सोरोस और चाइनीज कनेक्शन का आरोप लगाया.

Hindenburg Research: हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से कई बड़े बिजनेस समूहों पर आरोप लगाए गए. इन्हीं में से भारत का अदाणी समूह भी शामिल रहा. इसके बाद भारतीय शेयर बाजार में मची उथल-पुथल ने नई बहस को जन्म दिया. इसी बीच, सीनियर वकील और पूर्व राज्यसभा सांसद महेश जेठमलानी ने एनडीटीवी के एक शो में हिंडनबर्ग की पूरी साजिश को उजागर करते हुए इसे एक छोटा खिलाड़ी बताया और इसके पीछे छिपे असली मास्टरमाइंड्स पर सवाल खड़े किए.

हिंडनबर्ग पर महेश जेठमलानी के बड़े खुलासे

महेश जेठमलानी ने दावा किया कि हिंडनबर्ग केवल इस पूरे खेल का एक “फ्रंट” था. उनके अनुसार हिंडनबर्ग का असली मास्टरमाइंड अमेरिकी कारोबारी जॉर्ज सोरोस और अन्य बड़े खिलाड़ी इस साजिश के मुख्य सूत्रधार हैं. उन्होंने कहा कि सोरोस जैसे लोग भारत विरोधी एजेंडा चला रहे हैं.

हिंडनबर्ग में चाइनीज कनेक्शन

जेठमलानी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के पीछे चीन का लिंक होने की बात भी कही. उनका कहना है कि यह साजिश भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा थी.

हिंडनबर्ग के बंद होने से क्या बदल जाएगी सियासत?

महेश जेठमलानी ने इस पर कहा कि हिंडनबर्ग के बंद होने का मतलब यह नहीं है कि इसके पुराने अपराध मिट गए. यह सिर्फ एक ऐहतियातन कदम है, जिससे कंपनी भविष्य में कार्रवाई से बच सके. हिंडनबर्ग के पीछे और भी बड़े चेहरे हैं, जिन्हें अभी तक सामने नहीं लाया गया है.

भारत के लिए चुनौतियां

जेठमलानी का कहना है कि भारत सरकार को ऐसी शॉर्ट सेलिंग की साजिशों से अपनी कंपनियों को बचाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत सरकार इस मुद्दे पर सख्त कार्रवाई करेगी. संसद में अदाणी ग्रुप पर उठाए गए सवालों और हिंडनबर्ग रिपोर्ट के कंटेंट में समानता का जिक्र भी किया गया.

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डोनाल्ड ट्रंप और हिंडनबर्ग का कनेक्शन

महेश जेठमलानी ने अमेरिकी राजनीति का जिक्र करते हुए कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआत हिंडनबर्ग जैसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का संकेत दे सकती है. महेश जेठमलानी के खुलासे से हिंडनबर्ग रिसर्च और इसके पीछे के मास्टरमाइंड्स पर नए सवाल खड़े हुए हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इस मामले में क्या कदम उठाती हैं.

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