Election 2024: भारत में चुनावों का मौसम शुरू हो गया है. देश पांच राज्यों में विधानसभा के लिए सात नवंबर से मतदान हो रहे हैं. इन्हें लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) के सेमीफाइनल के रुप में देखा जा रहा है. विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद, लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो जाएगी. इस बीच, घरेलू और विदेशी दोनों फंड मैनेजर अगले छह महीनों में शेयर बाजार पर संभावित प्रभाव का आकलन करने के लिए पिछले रुझानों की बारीकी से जांच कर रहे हैं. ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय शेयर बाजार के बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स ने राजनीतिक अनिश्चितता और बदलाव के दौरान लचीलापन और बेहतरीन प्रदर्शन किया है. 1980 से 2019 के बीच, 11 आम चुनाव से पहले के छह महीनों में सेंसेक्स के लिए 14.3% का औसत रिटर्न देखा गया. आकड़ों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय शेयर बाजार, राजनीतिक अनिश्चितता के बीच भी तेजी से आगे बढ़ सकता है. विश्लेषकों के अनुसार, बाजार में एक स्थिर सरकार के गठन को लेकर आशा के कारण बाजार का मजबूत प्रदर्शन रहा है.
प्री-इलेक्शन देखने को मिलेगा शेयर में उछाल
ईटी के अनुसार, सैमको सिक्योरिटीज में बाजार परिप्रेक्ष्य के प्रमुख अपूर्व शेठ का कहना है कि मौजूदा मार्केट सिनारियो और पिछले आकंड़ों को देखते हुए ऐसा लगता है कि 10Yrs अमेरिकी बांड यील्ड में नरमी के साथ एक और चुनाव पूर्व रैली हो सकती है. चुनावों से जुड़ा बढ़ा हुआ राजनीतिक खर्च भी बाजार के सकारात्मक भावनाओं में योगदान देता है. देश में पिछला चुनाव साल 2019 में हुआ था. उस चुनाव से छह महीने पहले सेंसेक्स में करीब 10 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला था. साल 2014 के चुनाव में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को बड़े मार्जिन से हराया था. इस साल, चुनाव के छह महीने पहले सेंसेक्स ने करीब 16 प्रतिशत का रिटर्न दिया था. जबकि, साल 2009 में सेसेंक्स ने एतिहासिक रिकार्ड बनाया था. चुनाव के छह माह में सेंसेक्स में 59.8 प्रतिशत का जबरदस्त उछाल देखने को मिला. भारतीय शेयर बाजार ने 1980 के आम चुनाव के बाद से अपवाद रुप में केवल 1998 चुनाव के पहले गोता लगाता था. 1998 आम चुनाव से पहले सेंसेक्स करीब 9.3 प्रतिशत तक टूट गया था.
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1996 में चुनाव से पहले 25 प्रतिशत उछला था बाजार
1991 राजनीतिक अस्थिरता का दौर था. 1989 में कांग्रेस को हराकर जनता दल की सरकार बनी थी. जो मुश्किल से चली. लिहाजा 1991 में फिर से चुनाव हुआ. ऐसी स्थिति में भी 1989 में सेंसेक्स चुनाव से पहले 0.1 प्रतिशत और 1991 में चुनाव से पहले 2.6 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला. 1991 के चुनाव में कांग्रेस की स्थिर सरकार बनी. लिहाजा, 1996 में बाजार में चुनाव के छह महीने पहले 25.6 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला. 1996 में कांग्रेस को हराकर यूनाइटेड फ्रंट सत्ता में काबिज हुआ. इस बीच, CLSA ने बाजार में अपने आवंटन को पहले के 40 फीसदी अंडरवेट से बढ़ाकर 20 फीसदी ओवरवेट कर दिया. उनका कहना है कि 2024 के अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव के बाद मोदी सरकार के लौटने की संभावना है. ऐसे में बाजार के बेहतर प्रदर्शन की संभावना बरकरार रहती है. जैसे-जैसे भारतीय आम चुनाव नजदीक आ रहे हैं, बाजार विशेषज्ञ और निवेशक सोच-समझकर निर्णय लेने के लिए इन ऐतिहासिक रुझानों और मौजूदा बाजार स्थितियों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं.
क्या है आज बाजार की स्थिति
गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार प्री-ओपनिंग में लुढ़क गया. हालांकि, तुरंत संभलते हुए तूफानी पारी खेला. बीएसई का 30 शेयर वाला पहले सेंसेक्स 168.91 अंक गिरकर 65,507.02 पर आ गया. जबकि, निफ्टी 48.45 अंक फिसलकर 19,627 पर दिख रहा था. फिर तुरंत बाजार में तेजी दिखने लगी. सेंसेक्स 101.16 अंकों की बढ़त के साथ 65,777.64 पर जबकि निफ्टी 23 अंक चढ़कर 19,698.45 पर कारोबार कर रहा था. सेंसेक्स की कंपनियों में बजाज फाइनेंस, पावर ग्रिड, बजाज फिनसर्व, जेएसडब्ल्यू स्टील, टाइटन और टाटा स्टील के शेयर नुकसान में रहे. एनटीपीसी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा मोटर्स और एचसीएल टेक्नोलॉजीज के शेयर फायदे में रहे. शाम तीन बजे सेंसेक्स एक प्रतिशत यानी 676.11 अंक की तेजी के साथ 66,352.04 पर कारोबार कर रहा था. जबकि, निफ्टी 0.88% प्रतिशत यानी 172.45 अंक की तेजी के साथ 19,847.90 पर कारोबार कर रहा था.
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