Share Market Crash: बाजार में हाहाकार, 1400 अंकों की गिरावट ने निवेशकों की उम्मीदों को दिया झटका
Share Market Crash: सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली, जिसमें बीएसई सेंसेक्स 1,433.61 अंक गिरकर 78,290.51 पर बंद हुआ. इस गिरावट का कारण विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली और वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते बढ़ती अस्थिरता रहा
Share Market Crash: सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली, जिसमें बीएसई सेंसेक्स 1,433.61 अंक गिरकर 78,290.51 पर बंद हुआ. इस गिरावट का कारण विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली और वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते बढ़ती अस्थिरता रहा. इस भारी गिरावट से घरेलू बाजार में लगभग 8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे निवेशकों को बड़ा झटका लगा. निफ्टी50 भी इसी तरह 458.45 अंक गिरकर 23,845.90 पर पहुंच गया, जिससे अधिकांश क्षेत्रीय सूचकांकों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा.
अमेरिकी चुनाव और ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता
आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों के फैसलों के प्रति अनिश्चितता ने वैश्विक बाजारों में चिंता बढ़ाई है. 5 नवंबर को होने वाले अमेरिकी चुनाव, जिसमें उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर है, का संभावित आर्थिक प्रभाव भारतीय निवेशकों को चिंतित कर रहा है. कमला हैरिस की जीत से अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नरम रुख की संभावना है, जो भारतीय रिजर्व बैंक को दरों में कटौती के लिए प्रेरित कर सकता है और एनबीएफसी सेक्टर को लाभ पहुँचा सकता है. इसके विपरीत, ट्रंप की जीत अमेरिकी दरों को ऊंचा बनाए रखने की संभावना है, जिससे भारतीय बैंकिंग सेक्टर को लाभ हो सकता है.
फेडरल रिजर्व की बैठक से बाजार की अस्थिरता बढ़ी
7 नवंबर को होने वाली फेडरल रिजर्व की बैठक से निवेशकों में सतर्कता बढ़ गई है. विश्लेषकों का मानना है कि फेड द्वारा ब्याज दरों में संभावित कटौती से भारत में विदेशी निवेश में बढ़ोतरी हो सकती है. जब तक फेड की नीति पर स्पष्टता नहीं आती, निवेशक बाजार में सतर्क रहेंगे, जो निकट भविष्य में बाजार की अस्थिरता को बढ़ा सकता है.
भारतीय कंपनियों के Q2 परिणाम से भी गिरावट
भारतीय कंपनियों के दूसरे तिमाही (Q2) के परिणाम उम्मीद से कमजोर रहे, जिससे निवेशकों की भावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. कई विश्लेषकों ने निफ्टी ईपीएस वृद्धि में गिरावट की आशंका जताई है, जो एफआईआई को बिकवाली की ओर प्रेरित कर सकता है और भारतीय बाजार की तेजी पर रोक लगा सकता है.
तेल की बढ़ती कीमतों का असर
OPEC+ द्वारा उत्पादन में वृद्धि में देरी की घोषणा के बाद, सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई. ब्रेंट क्रूड की कीमत में 1.61% की बढ़ोतरी हुई, जो 74.28 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गई, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड भी 1.73% बढ़कर 70.69 डॉलर प्रति बैरल हो गया. इससे भारत के व्यापार संतुलन पर दबाव पड़ सकता है और आर्थिक विकास पर असर डाल सकता है.
कुल मिलाकर, वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू कारकों के चलते भारतीय शेयर बाजार पर दबाव बना हुआ है. विशेषज्ञों के अनुसार, अगले कुछ दिनों में बाजार में और अस्थिरता बनी रह सकती है, जब तक कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक और राजनीतिक स्थिति स्पष्ट नहीं होती.
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