अनीता दत्ता, एमएफ डिस्ट्रिब्यूटर
शेयर मार्केट एक ऐसा रास्ता है जिसमें रोज नये लोग जुड़ते जा रहे हैं. जो पुराने और परिपक्व निवेशक हैं, वे इसकी वोलाटिलिटी को और उतार-चढ़ाव को समझते हैं और धैर्य बनाये रखते हैं. लेकिन जो नये निवेशक आते हैं, जिन्होंने अभी तक गिरावट नहीं देखी है, वे घबरा जाते हैं ओर अपनी सारे पैसों को नीचे के स्तर में बेच कर नुकसान करते हैं.
यह बहुत जरूरी बात है कि हमें गिरावट में धैर्य रखें और भेड़चाल में न चलें कोरोना संकट के समय जिस दिन लॉकडाउन का ऐलान हुआ था, उस दिन शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आयी थी. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक सेंसेक्स एक दिन में करीब 4000 अंक यानी 13 प्रतिशत गिरकर बंद हुआ था. निफ्टी का भी यही हाल था. कुछ दिन लोगों में बहुत घबराहट बनी रही.
अप्रैल की शुरुआत तक में ही सेंसेक्स 41,000 की ऊंचाई से लगभग 13000 अंक गिरकर 27,000 तक पहुंच चुका था. कमजोर दिलवालों के लिए यह एक खौफनाक नजारा था, लेकिन उसके बाद बाजार ने जो रफ्तार बनयी, जो किसी ने सोचा भी नहीं था और बढ़ते-बढ़ते पिछले साल अक्तूबर तक 61,000 की नयी ऊंचाई तक पहुंच गया था.
इसी का असर था कि भारत में तमाम ऐसे लोग जिन्होंने कभी मार्केट में पैसा नहीं लगाया था, वे खिंचे चले आये. इतनी बड़ी संख्या में नये निवेशक जुड़े कि पंजीकृत निवेशकों की संख्या 10 करोड़ से ऊपर पहुंच गयी. जितने लोगों ने डीमैट अकाउंट खोलकर सीधे शेयरों में पैसा लगाना शुरू किया है, उनसे कहीं ज्यादा लोग म्यूचुअल फंड के रास्ते बाजार में निवेश कर रहे हैं. यह एक सुरक्षित तरीका भी है. अपने निवेश के रिस्क को कम करने का यह एक अच्छा संकेत है.
निवेश का मूल मंत्र हमेशा याद रखना है कि निवेश लगातार करते रहना चाहिए, चाहे बाजार कितना भी वोलाटाइल हो. बाजार के उतार-चढ़ाव से न घबराना है और न ही घबरा कर कोई फैसला लेना है. बाजार आज नीचे है, तो कल फिर ऊपर जायेगा ही.
विदेशी निवेशक पिछले कुछ महीनों से लगातार बाजार से पैसे निकाल रहे हैं. बाजार में अप्रैल से अब तक करीब 11 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है जिसकी वजह से लोगों में घबराहट बढ़ गयी है. इनमें से ज्यादातर निवेशक वे हैं जो पिछले दो साल के दौरान मार्केट में आये हैं और जिन्होंने अभी तक गिरावट का स्वाद नहीं चखा है. इसलिए थोड़ा धैर्य और सावधानी रखना बहुत जरूरी है.
बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच संतुलन बनाये रखें और अपने निवेश में एवरेजिंग करते रहें. जब भी थोड़ी गिरावट आये, तो थोड़ा-थोड़ा कर उसी स्कीम में निवेश करते रहना चाहिए. इस तरह छोटी-छोटी रकम का निवेश करते हुए ज्यादा यूनिट्स खरीद सकते हैं और जब मार्केट रिकवरी के मूड में आयेगा, तो अधिक लाभ अर्जित कर सकेंगे
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